उत्तर प्रदेश I की उपचुनाव की तैयारियों के बीच राजनीतिक दलों ने सक्रियता बढ़ा दी है। चुनाव आयोग द्वारा 20 नवंबर को होने वाले उपचुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद, बीजेपी और समाजवादी पार्टी (सपा) दोनों ने अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है।
सपा की रणनीति
- प्रभारी नियुक्ति: सपा ने अपने दिग्गज नेताओं को विभिन्न सीटों का चुनाव प्रभारी बनाया है। इनमें शिवपाल सिंह यादव जैसे प्रमुख नेता शामिल हैं।
- उम्मीदवारों की घोषणा: सपा ने पहले ही छह सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है और बाकी चार सीटों पर भी अपने उम्मीदवारों को उतारने की तैयारी कर रही है।
- गठबंधन की बातचीत: सपा और कांग्रेस के बीच गाजियाबाद सदर सीट और अलीगढ़ की खैर सीट को लेकर बातचीत चल रही है, जिससे गठबंधन को मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है।
- उत्तर प्रदेश की उपचुनाव की तैयारी में समाजवादी पार्टी (सपा) ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। जिन नौ सीटों पर उपचुनाव की घोषणा की गई है, उनमें से चार सीटें (करहल, कटेहरी, कुंदरकी, और सीसामऊ) सपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में जीती थीं। इसके अलावा, मीरापुर सीट पर आरएलडी ने सपा के साथ गठबंधन में जीत हासिल की थी
- प्रभारी नियुक्ति:
- कटेहरी: शिवपाल सिंह यादव को इस सीट की कमान सौंपी गई है।
- मिल्कीपुर: फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव को प्रभारी बनाया गया है, हालांकि इस सीट पर अभी उपचुनाव घोषित नहीं हुआ है।
- मझवां: चंदौली के सांसद वीरेंद्र सिंह को प्रभारी बनाया गया है।
- करहल: पूर्व मंत्री चंद्रदेव यादव को इस सीट का प्रभारी बनाया गया है। यहां से अखिलेश यादव ने 2022 में जीत हासिल की थी।
- फूलपुर: पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज को प्रभारी बनाया गया है।
- सीसामऊ: विधायक राजेंद्र कुमार को प्रभारी बनाया गया है।
- बाकी सीटों पर स्थिति
- सपा ने अभी गाजियाबाद, खैर, मीरापुर और कुंदरकी सीट पर अपने प्रभारी घोषित नहीं किए हैं, जो पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
- तेज प्रताप यादव
- सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने करहल सीट से अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को उतारा है। तेज प्रताप ने 2014 में मैनपुरी सीट से सांसद बनने का अनुभव रखा है। हालांकि, इस बार वे कन्नौज से चुनाव में उतारे गए थे, लेकिन अंतिम समय में अखिलेश यादव खुद चुनाव मैदान में उतर आए।
- यह उपचुनाव न केवल सपा के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी एक नया मोड़ ला सकता है।
बीजेपी की तैयारी
- सतर्कता: बीजेपी भी अपने उम्मीदवारों के चयन में सतर्कता बरत रही है और पार्टी के दिग्गजों को चुनाव की कमान सौंपा है। भाजपा के लिए ये उपचुनाव अग्निपरीक्षा माने जा रहे हैं। पार्टी का उद्देश्य लोकसभा चुनावों के नकारात्मक परिणामों का हिसाब चुकता करना और विधानसभा चुनाव के लिए बड़ा संदेश देना है। सत्ताधारी दल ने जमीनी स्तर पर सभी मंत्रियों की तैनाती कर दी है। योगी सरकार के 30 मंत्रियों की ड्यूटी इन सीटों पर लगाई गई है।
यह उपचुनाव न केवल उत्तर प्रदेश की राजनीति में बल्कि 2024 के आम चुनाव के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। दोनों दल अपने-अपने मतदाता आधार को मजबूत करने के लिए पूरी तैयारी में हैं।