भारत पर ब्रिटेन ने लगाया अंतरराष्ट्रीय दमनकारी होने का आरोप

नई दिल्‍ली। भारत ने ब्रिटेन की संसदीय समिति की उस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें भारत पर ‘सीमा-पार दमन’ में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को “आधारहीन” और “अविश्वसनीय” करार देते हुए कहा कि यह दावे “झूठे और ऐसे संदिग्ध स्रोतों” पर आधारित हैं, जो स्पष्ट रूप से भारत-विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि इस तरह के स्रोतों पर जानबूझकर निर्भरता से रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़े हो गए हैं।

ब्रिटिश संसदीय समिति ने बुधवार को चेतावनी दी कि विदेशी सरकारें ब्रिटेन में व्यक्तियों और समुदायों को ‘‘चुप कराने एवं धमकाने के प्रयासों में तेजी से आगे बढ़ रही हैं।’’ संयुक्त मानवाधिकार समिति की ‘ब्रिटेन में अंतरराष्ट्रीय दमन’ रिपोर्ट में भारत का नाम उन 12 देशों में शामिल है जिनके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दमन के सबूत मिले हैं।

इस रिपोर्ट में भारत सहित बारह देशों- बहरीन, चीन, मिस्र, इरिट्रिया, ईरान, पाकिस्तान, रूस, रवांडा, सऊदी अरब, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात पर ब्रिटेन में सीमा-पार दमन के कथित कृत्यों में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। रिपोर्ट में दावा किया गया कि ये देश ब्रिटेन में अपने आलोचकों, कार्यकर्ताओं और असंतुष्टों को डराने, निगरानी करने या दबाव डालने जैसे तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

विश्वसनीय सबूत’’ प्राप्त हुए हैं कि कई देश ब्रिटेन की धरती पर इस तरह के दमनकारी कार्यों में संलिप्त हैं, जिसका लक्षित लोगों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है, ‘‘उनमें डर पैदा किया गया है, उनकी अभिव्यक्ति और आवागमन की स्वतंत्रता को सीमित किया गया है तथा उनकी सुरक्षा की भावना को कमजोर किया गया है।’’

रिपोर्ट में भारत से संबंधित आरोपों का आधार मुख्य रूप से ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ (SFJ) जैसे संगठनों और यूके में बसे कुछ सिख समूहों द्वारा दी गई जानकारी को बनाया गया। भारत में ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ को गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित आतंकी संगठन घोषित किया गया है। विदेश मंत्रालय ने इस संगठन को “खालिस्तानी चरमपंथी समूह” करार देते हुए कहा कि यह भारत के खिलाफ शत्रुतापूर्ण गतिविधियों में लिप्त रहा है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक प्रेस बयान में कहा, “हमने इस रिपोर्ट में भारत के उल्लेख को देखा है और इन आधारहीन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हैं। ये दावे असत्यापित और संदिग्ध स्रोतों से लिए गए हैं, जो मुख्य रूप से प्रतिबंधित संगठनों और व्यक्तियों से जुड़े हैं, जिनका भारत-विरोधी इतिहास स्पष्ट रूप से दर्ज है। ऐसी अविश्वसनीय स्रोतों पर जानबूझकर निर्भरता से इस रिपोर्ट की साख पर ही सवाल उठता है।”

यह पहली बार नहीं है जब भारत ने ब्रिटेन में खालिस्तानी तत्वों की गतिविधियों पर चिंता जताई है। लंदन में भारतीय उच्चायोग पर खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा तोड़फोड़ की घटना के बाद भारत ने ब्रिटिश सरकार के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज किया था। उस समय विदेश मंत्रालय ने ब्रिटिश अधिकारियों से सुरक्षा की पूर्ण अनुपस्थिति पर स्पष्टीकरण मांगा था, जिसके कारण खालिस्तानी तत्व उच्चायोग परिसर में घुसने में सफल रहे थे।

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