एयरफोर्स का फाइटर जेट प्लेन दुश्मन का खात्मा करने के लिए मिशन पर निकला था। टारगेट एक भीड़ भरे इलाके में था और मिशन पूरा भी हो गया था, लेकिन एक मच्छर के कारण हादसा हो गया। एक मच्छर एयरक्राफ्ट के इंजन में घुस गया और लैंप पोस्ट से टकरा गया। प्लेन के पंख डैमेज हो गए। इंजन में आग लग गई।
बैलेंस बिगड़ा और एयरक्राफ्ट ने जो बम दुश्मन पर गिराना था, वह स्कूल के ऊपर गिर गया। हादसे में 87 बच्चों समेत 125 लोग मारे गए थे। इस हादसे के बाद स्कूल को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। आज वहां एक स्मारक बना है। एयरफोर्स के उस मिशन का नाम था- ऑपरेशन कार्थेज, जो आज से 79 साल पहले दूसरे विश्व युद्ध के दौरान चलाया गया था।
ऑपरेशन कार्थेज दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 21 मार्च 1945 को डेनमार्क के कोपेनहेगर में चलाया गया था। यह एक एयर स्ट्राइक थी, जिसका टारगेट शेलहस नामक बल्डिंग थी, जो नाजी पुलिस का हेडक्वार्टर था। इस ऑफिस में खुफिया दस्तावेज और रखे गए थे। यहां बनी जेलों में डेनमार्क के नागरिकों को पकड़कर पूछताछ करते समय प्रताड़ित करने के लिए किया जाता था।
एयर स्ट्राइक के दौरान शेलहस बिल्डिंग को ध्वस्त कर दिया। 18 कैदी आजाद कराए गए थे। एक एयर स्ट्राइक के दौरान गलती से एयरक्राफ्ट का बम जीन डी’आर्क स्कूल के ऊपर गिर गया। हादसे में 123 लोग मारे गए थे, जिनमें 87 स्कूली बच्चों और स्कूल के स्टाफ से जुड़े 18 लोग शामिल थे। हादसे पर साल 2021 में डेनिश फिल्म ‘द शैडो इन माई आई’ बन चुकी है।
ब्रिटिश एयरफोर्स ने एयर स्ट्राइक के लिए नंबर 140 विंग RAF के फाइटर बॉम्बर शामिल थे, जिसमें नंबर 21 स्क्वाड्रन RAF, नंबर 464 स्क्वाड्रन RAF और नंबर 487 स्क्वाड्रन RNZAF शामिल थे। इन एयक्राफ्ट के साथ 2 खोजी एयरक्राफ्ट थे, जिनका मकसद टारगेट को खोज निकालना था। 30 RAF मस्टैंग लड़ाकू विमानों ने जर्मन विमानों से मिशन को एयर कवर दिया।
उन्होंने एंटी-एयरक्राफ्ट पर हमला भी किया। सुबह करीब 11 बजे मिशन में शामिल एयरक्राफ्ट कोपेनहेगन पहुंचे, लेकिन हमले के दौरान एक मच्छर ने लैंप पोस्ट को टक्कर मार दी, जिससे उसका पंख क्षतिग्रस्त हो गया और जहाज टारगेट से लगभग 1.5 किलोमीटर (0.93 मील) दूर जीन डी’आर्क स्कूल में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। एयरक्राफ्ट के बम स्कूल के ऊपर गिर गए। बच्चों की याद में एक स्मारक बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।