
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का यह बयान उत्तर प्रदेश के नौ विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनावों में चुनावी प्रक्रिया को लेकर उठ रही गंभीर चिंता को दर्शाता है। उनका आरोप है कि पुलिस प्रशासन मतदाताओं के एक वर्ग को अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने से रोक रहा है और उन्हें वोट डालने के लिए हतोत्साहित कर रहा है।
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि मतदान के शुरू होते ही विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों से लगातार शिकायतें आ रही हैं। उनका कहना है कि इन शिकायतों के बावजूद चुनाव आयोग कोई ठोस कार्रवाई करने में नाकाम रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग की संवेदनाएं “कुंठित” हो गई हैं, यानी आयोग इस मुद्दे पर गंभीर रूप से कार्रवाई करने में असमर्थ दिख रहा है।
सपा नेता ने दावा किया कि बीजेपी ये उपचुनाव वोट से नहीं बल्कि ‘खोट’ से जीतना चाहती है। हार के डर से भाजपा प्रशासन पर गड़बड़ी करने का दबाव बना रही है। यह बयान इस बात का संकेत है कि चुनावी प्रक्रिया में निष्पक्षता और स्वतंत्रता को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अगर पुलिस या प्रशासन मतदाताओं को उनके वोट डालने से रोकता है या हतोत्साहित करता है, तो यह लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है और चुनावी निष्पक्षता पर गंभीर आघात करता है।
समाजवादी पार्टी के इस आरोप के बाद, चुनाव आयोग की भूमिका और उसकी संवेदनशीलता पर सवाल उठना स्वाभाविक है। चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वह चुनावों की पारदर्शिता, निष्पक्षता और स्वतंत्रता सुनिश्चित करे, ताकि सभी मतदाता बिना किसी डर या दबाव के अपने मताधिकार का उपयोग कर सकें। अगर ये शिकायतें सही हैं, तो यह निश्चित रूप से एक गंभीर मुद्दा है, और चुनाव आयोग को इसे तत्काल संबोधित करने की आवश्यकता है, ताकि लोकतंत्र की प्रक्रियाओं पर किसी प्रकार का संदेह न हो।