राज्यसभा में बीजेपी को उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले बड़ी बढ़त

नई दिल्ली। आगामी 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले भाजपा को राज्यसभा में बड़ी राजनीतिक बढ़त मिली है। पहली बार अप्रैल 2022 के बाद भाजपा (ऱझ) ने फिर से राज्यसभा में 100 का आंकड़ा पार किया है। हाल ही में नामित किए गए तीन सदस्यों- वरिष्ठ अधिवक्ता उज्ज्वल निकम, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और सामाजिक कार्यकर्ता सी सदानंदन मास्टर ने भाजपा जॉइन कर ली है। इनके शामिल होने के बाद अब पार्टी के पास राज्यसभा में कुल 102 सदस्य हो गए हैं।

वर्तमान में राज्यसभा की कुल सदस्य संख्या 240 है, जिनमें 12 नामित सदस्य भी शामिल हैं और पांच सीटें रिक्त हैं। 31 मार्च 2022 को 13 राज्यसभा सीटों पर हुए चुनावों के बाद भाजपा की संख्या 97 से बढ़कर 101 हो गई थी, जिससे वह कांग्रेस के बाद इतिहास में दूसरी ऐसी पार्टी बनी थी जिसने उच्च सदन में 100 से ज्यादा सांसद बनाए। कांग्रेस को यह उपलब्धि 1988 से 1990 के बीच मिली थी।

लेकिन इसके बाद भाजपा की संख्या में धीरे-धीरे गिरावट आई और हाल ही तक यह 99 पर थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक,अब नामित सदस्यों के भाजपा में शामिल होने से पार्टी ने दोबारा 100 का आंकड़ा पार कर लिया है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पास अब राज्यसभा में कुल 134 सांसद हैं, जिनमें 12 में से 5 नामित सदस्य भी शामिल हैं। बहुमत का मौजूदा आंकड़ा 121 है, जिसे एनडीए ने पार कर लिया है।

उज्ज्वल निकम: 26/11 मुंबई आतंकी हमलों में विशेष लोक अभियोजक रहे निकम ने अजमल कसाब जैसे आतंकवादी को अदालत में सजा दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्हें 2016 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में मुंबई उत्तर मध्य सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस की वर्षा गायकवाड़ से हार गए थे।

हर्षवर्धन श्रृंगला: वे 2020 से अप्रैल 2022 तक भारत के विदेश सचिव रहे। इसके बाद वे G20 शिखर सम्मेलन 2023 के मुख्य समन्वयक बने। वे अमेरिका में भारत के राजदूत और बांग्लादेश में उच्चायुक्त के रूप में भी सेवा दे चुके हैं।

सी सदानंदन मास्टर: केरल के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षक हैं। 1994 में उनके पैरों को काट दिया गया था, जिसके लिए उन्होंने माकपा कार्यकर्ताओं को दोषी ठहराया था। उनका आरोप था कि भाजपा में शामिल होने के कारण उन पर हमला हुआ। वे 2016 में केरल विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे।

इन तीनों के साथ-साथ हाल ही में राज्यसभा के लिए नामित हुईं राजनीतिक विश्लेषक और इतिहासकार मीना कुमारी जैन भी चर्चा में रहीं। वे भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (ICHR) की सदस्य रह चुकी हैं और उन्हें 2020 में पद्म श्री सम्मान मिला था। हालांकि, उन्होंने अभी तक किसी राजनीतिक दल की सदस्यता नहीं ली है।

उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव नौ सितंबर को होगा और भाजपा नीत राजग से मुकाबले के लिए कांग्रेस नीत विपक्ष एक साझा उम्मीदवार खड़ा कर सकता है। ऐसे में कड़ा मुकाबला होने के आसार हैं। गत 21 जुलाई को जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा पहली ऐसी घटना है जब किसी उपराष्ट्रपति ने पद पर रहते हुए त्यागपत्र दे दिया और उच्च पद के लिए दावेदारी नहीं की। इस्तीफे के समय धनखड़ का कार्यकाल दो साल से अधिक बचा था।

इससे पहले वीवी गिरि और आर वेंकटरमन ने पद पर रहते हुए इस्तीफा दिया था लेकिन दोनों ने क्रमश: 1969 और 1987 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ा था। आयोग ने शुक्रवार को घोषणा की कि 17वें उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव नौ सितंबर को होगा। चुनाव के लिए अधिसूचना सात अगस्त को जारी होगी और नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त होगी। इसने कहा कि यदि मतदान की जरूरत हुई तो यह नौ सितंबर को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक संसद भवन के प्रथम तल पर स्थित कक्ष संख्या एफ-101, वसुधा में होगा। उसी दिन परिणाम घोषित किए जाएंगे। विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा है कि वे उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए साझा उम्मीदवार उतार सकते हैं।

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