कालसर्प दोष एक ज्योतिषीय अवधारणा है, जिसे तब माना जाता है जब जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं। यह दोष व्यक्ति के जीवन में कई तरह की समस्याओं और चुनौतियों का कारण बन सकता है, और इसके प्रभाव से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक संकटों का सामना करना पड़ सकता है।
कालसर्प दोष एक प्रमुख ज्योतिषीय दोष है जिसे विशेष रूप से हिंदू धर्म और वेदों में माना जाता है। यह दोष तब उत्पन्न होता है जब जन्म कुंडली में सभी ग्रह (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु) के बीच राहु और केतु के स्थान पर स्थित होते हैं, अर्थात, सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में होते हैं। इसे कालसर्प योग भी कहा जाता है।
इस दोष से व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। व्यक्ति को जीवन में निरंतर तनाव, चिंता और अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है। कालसर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति को अपने करियर में लगातार विघ्न और बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। कोई भी कार्य शुरू करने में कठिनाइयां आ सकती हैं, और व्यवसाय में लगातार उतार-चढ़ाव होते हैं।
यह दोष परिवार और रिश्तों में भी तनाव पैदा कर सकता है। किसी परिवार के सदस्य के साथ मनमुटाव या वैचारिक भिन्नताएं उत्पन्न हो सकती हैं। कालसर्प दोष के कारण व्यक्ति को आर्थिक नुकसान, कर्ज या वित्तीय समस्याओं का सामना भी हो सकता है। इस दोष का शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है, जैसे अचानक बीमारियां आना या शरीर में किसी प्रकार की कमजोरी होना।
अगर आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है, उन्हें भगवान शिव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। विशेषकर सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल जरुर अर्पित करें। वहीं, आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप रोजाना 108 बार करना चाहिए। इसके लिए सुबह नहाने के बाद एकांत जगह पर बैठें और जाप शुरू करें। इसके अतिरिक्त आप कालसर्प दोष को दूर करने के लिए सर्प नागपति पूजा एक प्रभावी उपाय है। इस पूजा को विशेष तौर पर पंडितों के द्वारा विधि-विधान के पूजा करवानी चाहिए।