
नई दिल्ली। सरकार निजी पेंशन योजनाओं में निवेश करने वालों के लिए बड़ी राहत लाने की तैयारी में है। लोकसभा की एक विशेष समिति ने नए आयकर विधेयक में एकमुश्त पेंशन निकासी पर टैक्स नियमों को सभी के लिए समान बनाने की सिफारिश की है। इससे पहले सिर्फ सरकारी और कुछ निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को ही इस पर कर में छूट मिलती थी, जबकि स्वयं निवेश करने वाले गैर-नौकरीपेशा लोगों को कोई छूट नहीं मिलती थी। समिति ने इस अंतर को दूर करने का प्रस्ताव रखा है।
अभी तक की व्यवस्था के मुताबिक, केंद्र या राज्य सरकार और सेना के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर मिलने वाली एकमुश्त पेंशन राशि पर पूरी तरह से कर माफ होता था। निजी क्षेत्र के कुछ कर्मचारियों को आंशिक छूट मिलती थी। अगर उन्हें ग्रेच्युटी मिली हो तो एक-तिहाई राशि पर, नहीं तो आधी राशि पर। लेकिन, जिन लोगों ने खुद से एलआईसी जैसी मान्यता प्राप्त निजी पेंशन योजनाओं में निवेश किया है (जैसे स्वरोजगार करने वाले या फ्रीलांसर), उन्हें एकमुश्त पेंशन निकालने पर पूरी राशि पर टैक्स देना पड़ता था। समिति ने इस असमानता को सही नहीं माना है।
अगर यह प्रस्ताव कानून बन जाता है, तो निम्नलिखित लोगों को एकमुश्त पेंशन निकासी पर भी कर छूट का लाभ मिल सकेगा। स्वरोजगार करने वाले पेशेवर: जैसे डॉक्टर, वकील, कलाकार या फ्रीलांसर जिन्होंने खुद से मान्यता प्राप्त पेंशन फंड में निवेश किया है। ऐसे निजी क्षेत्र के कर्मचारी, जिनकी कंपनी की कोई पेंशन योजना नहीं है, लेकिन उन्होंने खुद किसी स्वीकृत पेंशन योजना में पैसा लगाया है। कानूनी वारिस या नामांकित व्यक्ति: अगर पेंशन खाताधारक की मृत्यु हो जाए, तो उसके आश्रितों या नामित व्यक्ति को मिलने वाली एकमुश्त राशि पर भी छूट मिल सकेगी। ग्रुप बीमा से जुड़े पेंशन के लाभार्थी: जो किसी संगठन के सीधे कर्मचारी तो नहीं हैं, लेकिन उसके स्वीकृत पेंशन फंड से लाभ लेते हैं।
एकमुश्त पेंशन निकासी (कम्यूटेड पेंशन) का मतलब है कि रिटायरमेंट के समय व्यक्ति अपनी कुल पेंशन राशि का एक हिस्सा तुरंत एक बड़ी रकम के रूप में ले सकता है। बाकी बचा हिस्सा उसे हर महीने नियमित पेंशन के तौर पर मिलता रहता है। नए नियम से पहले, ज्यादातर लोगों को इस तुरंत मिलने वाली बड़ी रकम पर पूरा टैक्स देना पड़ता था।
सरकार का मानना है कि यह बदलाव रिटायर होने वाले ज्यादा लोगों पर टैक्स का बोझ कम करेगा। इससे लोगों की बचत बढ़ेगी और रिटायरमेंट के बाद उनकी आर्थिक सुरक्षा भी बेहतर होगी। वित्तीय विशेषज्ञ भी मानते हैं कि यह कदम सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के बीच टैक्स नियमों में एकरूपता लाएगा।
इसके अलावा, समिति ने आयकर से जुड़े कुछ और नियमों में भी सुधार की सिफारिश की है…
आईटीआर की अनिवार्यता में ढील: सिर्फ टीडीएस (स्रोत पर काटा गया कर) वापसी के लिए अब पूरा आईटीआर दाखिल करना जरूरी नहीं होगा। इसके बजाय एक सरल फॉर्म भरने का प्रस्ताव है। देर से रिटर्न भरने पर भी रिफंड: पहले प्रस्ताव के मुताबिक, एक तय समय सीमा के बाद रिटर्न दाखिल करने पर रिफंड नहीं मिलता था। समिति ने इसमें बदलाव की सिफारिश की है ताकि देर से रिटर्न भरने वालों को भी रिफंड मिल सके। शून्य टीडीएस सर्टिफिकेट: करदाताओं को यह सुविधा मिल सकेगी कि वे टैक्स कटने से पहले ही शून्य टीडीएस का सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकेंगे, जिससे उनकी आय पर टैक्स नहीं कटेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में इस नए आयकर विधेयक को पेश करेंगी। भाजपा सदस्य बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली लोकसभा की प्रवर समिति ने आयकर विधेयक पर 285 सुझाव दिए, जिन्हें सरकार ने स्वीकार कर लिया। यदि यह विधेयक पास हो जाता है, तो यह बदलाव निजी पेंशन योजनाओं में निवेश करने वाले लाखों लोगों के लिए वित्तीय राहत ला सकता है।