भाई दूज रिश्ते को मजबूत करता है

सनातन धर्म में होली के बाद मनाए जाने वाले भाई दूज के त्योहार का खास महत्व है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है तो आइए हम आपको होली भाई दूज के महत्व के बारे में बताते हैं।होली के अगले दिन देश के कई हिस्सों में भाईदूज मनाने की परंपरा है। यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को सुदृढ़ करने के लिए मनाया जाता है। वैसे तो दीपावली के बाद आने वाला भाई दूज सबसे ज्यादा लोकप्रिय त्योहार है। लेकिन होली भाई दूज का भी चलन जोरों पर है। यह त्योहार द्वितीय तिथि को मनाया जाता है। इस साल होली भाईदूज का त्योहार 27 मार्च को है। हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष में दो बार भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। एक दिवाली के बाद और दूसरा चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस खास अवसर पर बहनें अपने भाई की दीर्घ आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए तिलक लगाकर रक्षा सूत्र बांधती हैं।

पंडितों के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान यम अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए गए थे। उनके घर पहुंचने पर बहन ने यम का भव्य स्वागत किया था और उनको तिलक लगाया। साथ ही उनको मिठाई खिलाई। इससे यम बहन से प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान दिया कि जो भाई चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को अपनी बहन से तिलक करवाएगा। उसकी दीर्घ आयु होगी और समृद्धि का आशीर्वाद का प्राप्त होगा।भाई दूज पर भाई का तिलक करते समय बहनें “गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजे कृष्ण को गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़े फूले फलें।” मंत्र का जाप भी जरूर करें। इससे भाई की उम्र लम्बी होती है। साथ ही बहनें भी हर कष्ट से दूर रहती हैं।

होली की सुबह होली भाईदूज मनाया जाता है। इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर भगवान विष्णु तथा गणेश की पूजा करना लाभदायक माना जाता है। पंडितों का मानना है कि इस दिन गोबर के दूज बनाए जाते हैं और इनकी विधि-विधान से पूजा होती है। बहनें दूज से भाई की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं। साथ ही बहनें भाई के शत्रु एवं बाधा का नाश होने की प्रार्थना करती हैं। इसके अलावा भारत में कई जगहों पर भाई को चौकी या पीड़ा पर बैठाकर उसके माथे पर तिलक लगाती हैं और आरती उतारकर उनकी पूजा करती हैं।

होली दूज हिन्दुओं का विशेष त्योहार है। शास्त्रों में इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार एक नगर में एक बुढ़िया रहती थी। बुढ़िया के दो बच्चे थे एक बेटा और एक बेटी। बुढ़िया ने अपनी बेटी की शादी कर दी थी। एक बार होली के बाद भाई ने अपनी मां से अपनी बहन के यहां जाकर तिलक कराने का आग्रह किया तो बुढ़िया ने अपने बेटे को जाने की अनुमति दे दी। बुढ़िया का बेटा एक जंगल से गुजर रहा था जहां उसे एक नदी मिली। उस नदी ने बोला कि मैं तुम्हारा काल हूं और मैं तुम्हारी जान लूंगी। इस पर बुढ़िया का बेटा बोला पहले मैं अपनी बहन से तिलक करा लूं फिर मेरे प्राण हर लेना।

इसके बाद वह आगे बढ़ा जहां उसे एक शेर मिला बुढ़िया के बेटे ने शेर से भी यही कहा। इसके बाद उसे एक सांप मिलता है उसने सांप को भी यही जवाब दिया। जिसके बाद वह अपनी बहन के घर पहुंचता है। उस समय उसकी बहन सूत काट रही थी। जब उसका भाई उसे पुकारता है तो वह उसकी आवाज को अनसुना कर देती है। लेकिन जब भाई दुबारा आवाज लगाता है तो उसकी बहन बाहर आ जाती है। इसके बाद उसका भाई तिलक कराकर चल दुखी मन से वापस जंगल की ओर चला जाता है। इस पर बहन उसके दुख का कारण पूछती और भाई उसे सब बता देता है।

उस बुढ़िया की लड़की कहती है कि रूको भाई मैं पानी पीकर आती हूं और वह एक तालाब के पास जाती है जहां उसे एक बुढ़िया मिलती है और वह उस बुढ़िया से अपनी इस समस्या का समाधान पूछती है। इस पर बुढ़िया कहती है यह तेरे ही पिछले जन्मों का कर्म है जो तेरे भाई को भुगतना पड़ रहा है। अगर तुम अपने भाई को बचाना चाहती हो तो उसकी शादी होने तक वह हर विपदा को टाल दे तो तेरा भाई बच सकता है। इसके बाद वह अपने भाई के पास जाती है और कहती है कि मैं तुझे घर छोड़ने के लिए चलूंगी और वह शेर के लिए मांस, सांप के लिए दूध और नदी के लिए ओढ़नी लाती है। इसके बाद दोनों आगे बढ़ते हैं रास्ते में उन्हें पहले शेर मिलता है। उसकी बहन शेर के आगे मांस डाल देती है। उसके बाद आगे उन्हें सांप मिलता है। जिसके बाद उस बुढ़िया की लड़की उसे दूध दे देती है और अंत में उन्हें नदी मिलती है। जिस पर वह ओढ़नी डाल देती है। इस प्रकार वह बहन अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से अपने भाई को बचा लेती है।

होली दूज भाई-बहनों के लिए विशेष त्योहार है। जिस तरह से दिवाली के बाद भाई दूज मनाकर भाई की लंबी उम्र के लिए कामना की जाती है और उसे नर्क की यातनाओं से मुक्ति दिलाने के लिए उसे तिलक लगाया जाता है। वैसे ही होली के बाद भाई का तिलक करके होली की भाई दूज मनायी जाती है ताकि उसे सभी प्रकार के संकटों से बचाया जा सके। पंडितों के अनुसार होली के अगले दिन भाई को तिलक करने से उसे सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।

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