
बेंगलुरु। बेंगलुरु में हाल ही में हुई भगदड़ की घटना के बाद कर्नाटक सरकार अब भीड़ नियंत्रण फर्जी खबरों, हेट स्पीच और जातिगत भेदभाव से जुड़े मामलों पर कानून बनाने की दिशा में गंभीरता से कदम उठा रही है। राज्य की अगली मंत्रिमंडल बैठक में इन विषयों पर चार प्रमुख विधेयकों पर चर्चा की जाएगी. कर्नाटक भीड़ नियंत्रण विधेयक 2025, कर्नाटक रोहित वेमुला विधेयक 2025, कर्नाटक फर्जी खबरों पर रोक विधेयक 2025, और कर्नाटक नफरत भरे भाषण और अपराध रोकथाम विधेयक 2025 विधानसभा के अगले सत्र में लाने पर सरकार विचार कर रही है।
राज्य के कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने बताया किइन विधेयकों पर विस्तार से चर्चा की आवश्यकता है और अगली कैबिनेट बैठक से पहले संबंधित मंत्री इनके मसौदे पर आपसी चर्चा करेंगे, जिसके बाद इन्हें अंतिम मंजूरी के लिए फिर से कैबिनेट में लाया जाएगा।
4 जून को बेंगलुरु स्थित ए चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर एक बड़ी भगदड़ की घटना में 11 लोगों की मौत हो गई थी और 56 अन्य घायल हो गए थे। यह हादसा रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) की आईपीएल जीत के जश्न के दौरान हुआ, जब हजारों की संख्या में लोग कार्यक्रम में पहुंचे। इसी घटना ने सरकार को ऐसे कानून की आवश्यकता का एहसास कराया, जिससे सार्वजनिक आयोजनों में भीड़ पर प्रभावी नियंत्रण सुनिश्चित किया जा सके।
प्रस्तावित भीड़ नियंत्रण विधेयक 2025 के अनुसार, पुलिस के आदेशों की अवहेलना करने या नियमों का उल्लंघन करने पर तीन साल तक की कैद या 5,000 तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। कार्यक्रम आयोजक यदि आयोजन से पहले अनुमति नहीं लेते हैं या भीड़ नियंत्रण में विफल रहते हैं, और मुआवजा नहीं देते हैं, तो उन्हें तीन साल तक की जेल या 5 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों भुगतना पड़ सकता है।
इसके अतिरिक्त, विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि आयोजक घायल या मृत व्यक्तियों के परिवारों को उचित मुआवजा देने में असफल रहता है, तो सरकार उसकी संपत्ति को जब्त कर सकती है और राजस्व बकाया के रूप में राशि वसूल सकती है। हालांकि, यह कानून धार्मिक आयोजनों जैसे जात्रा, रथोत्सव, उरुस, पल्लक्की उत्सव और अन्य पारंपरिक आयोजनों पर लागू नहीं होगा।
दूसरा प्रमुख विधेयक कर्नाटक रोहित वेमुला विधेयक 2025 है, जो उच्च शिक्षा संस्थानों में जाति-आधारित भेदभाव को रोकने के उद्देश्य से लाया जा रहा है। इसके तहत, भेदभाव का शिकार होने वाले छात्रों को 1 लाख रुपए तक का मुआवजा देने का प्रावधान है. साथ ही, दोषी पाए जाने वालों को एक साल की जेल और 10,000 रुपए तक के जुर्माने की सजा हो सकती है।
यह विधेयक उस संदर्भ में लाया गया है जब दलित छात्र रोहित वेमुला ने 2016 में हैदराबाद विश्वविद्यालय में कथित जातिगत भेदभाव से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी। इस मुद्दे को फिर से प्रासंगिकता तब मिली जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अप्रैल 2025 में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर इस तरह के कानून की मांग की।
शेष दो विधेयक- गलत सूचना और फर्जी खबरों पर रोक तथा नफरत भरे भाषण और अपराध रोकथाम विधेयक- सोशल मीडिया व डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से फैल रही अफवाहों, हेट स्पीच और सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने वाली गतिविधियों पर अंकुश लगाने की दिशा में उठाया गया कदम हैं। इन विधेयकों का उद्देश्य समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखना है। राज्य सरकार का कहना है कि इन विधेयकों के जरिए सार्वजनिक सुरक्षा, सामाजिक न्याय और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा की जाएगी