
ज्येष्ठ मंगलों का हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है। पौराणिक कहानियों के अनुसार शनिदेव और मंगलदेव हनुमान जी के भक्तों को हानि नहीं पहुंचाते हैं। इस कारण से अगर आप शनि की साढ़े साती, ढैय्या से पीड़ित हैं या फिर मंगलदोष की समस्या से परेशान हैं, तो आपको ज्येष्ठ माह के प्रत्येक मंगलवार को कुछ विशेष उपाय करने चाहिए, जिससे कि आपको हनुमान जी की विशेष कृपा मिल सके।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर… हनुमान चालीसा का पाठ बड़ा मंगल को ही नहीं बल्कि हर मंगलवार और शनिवार को करना चाहिए। हनुमान चालीसा, बजरंग बाण का पाठ करने से शनि और मंगल दोनों ग्रह शांत रहते हैं।
लाल रंग को मंगल ग्रह से जोड़कर देखा जाता है। पौराणिक कहानियों के अनुसार हनुमान जी को मंगलदेव ने वरदान दिया था कि जो भी व्यक्ति हनुमान जी की स्तुति करेगा, उन पर मंगल देव अपनी नकारात्मक दृष्टि नहीं डालेंगे। इस कारण से बड़ा मंगल को हनुमान जी को लाल रंग का चोला जरूर चढ़ाना चाहिए।
बड़ा मंगलवार को हनुमान जी को लाल रंग के आसन पर बैठाकर हनुमान जी की विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ करके हनुमान जी को बूंदी के प्रसाद का भोग लगाकर इस प्रसाद को वितरित जरूर करना चाहिए। बूंदी के प्रसाद में पीले, केसरिया और लाल रंग ली बूंदी भी जरूर शामिल करें।
बड़ा मंगल को हनुमान जी की विशेष कृपा पाने के लिए हनुमान जी को मीठे पान का बीड़ा जरूर चढ़ाएं। इससे आपको हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके बाद हनुमान जी के सामने रामस्त्रोत पाठ जरूर करें। पुराणों में दान का विशेष महत्व है। विशेष रूप से आपको बड़ा मंगल के दिन काले वस्त्र, लाल वस्त्र, छाता, जल, अन्न, उड़द, केले, बूंदी, इत्र, सुगंधित तेल आदि चीजों का दान अपने सामर्थ्यनुसार जरूर करना चाहिए।