
बलरामपुर। उत्तर प्रदेश का बलरामपुर जिला और यहां उतरौला क्षेत्र का मधेपुरा गांव बीते कुछ दिनों से चर्चा के केंद्र में है। इसकी वजह जमालुद्दीन नाम का वो शख्स है, जिसकी पहचान छांगुर बाबा के तौर पर है। धर्मांतरण के रैकेट के खुलासे के बाद से छांगुर की आलीशान कोठी पर बुलडोजर चला दिया गया है। छांगुर खुद एटीएस की कस्टडी में है, जिसकी 7 दिनों की मियाद आज शाम पूरी हो जाएगी। कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं। लोग हैरान हैं कि कुछ सालों पहले तक साइकल पर घूम कर अंगूठी और नग बेचने वाला जलालुद्दीन आखिर इतना अमीर कैसे हो गया।
छांगुर बाबा के पुश्तैनी गांव रेहरा माफी के लोग अभी भी इन खुलासों पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। कई ग्रामीणों का कहना है कि बाबा का इलाके में इतना दबदबा था कि कोई उसके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करता था। छांगुर बाबा का नेटवर्क उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा से लेकर कई राज्यों में फैला हुआ है। नेपाल, दुबई समेत कई देशों भी इस गिरोह का प्रभाव है। कई सौ करोड़ के लेनदेन की जांच भी चल रही है।
जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा ने नापाक धंधे को आगे बढ़ाने में सरकारी विभागों में भी पैठ बना रखी थी। एसटीएफ की गोपनीय जांच में पुलिस से लेकर प्रशासन और सरकारी महकमों में छांगुर के शागिर्दों के बारे में पता चला है। 2019 से 2024 के बीच बलरामपुर में तैनात रहे एडीएम ऑफिसर, दो CO, एक इंस्पेक्टर की भूमिका संदिग्ध सामने आई है। फिलहाल इनकी भूमिका को लेकर सबूत जुटाए जा रहे हैं। ईडी अब उनके दो दर्जन करीबियों पर भी नजर रख रही है। इन लोगों के बैंक खातों की जानकारी जुटाई जा रही है। इनमें न्यायालय, राजस्व, पुलिस और अन्य विभागों से जुड़े लोग भी शामिल हैं।
यूपी एटीएस की जांच में सामने आया है कि धर्मांतरण को लेकर छांगुर बाबा अपने लोगों के साथ कोडवर्ड में बात करता था। वह स्मार्टफोन की बजाय कीपैड वाला सामान्य फोन ही यूज करता था। लव जिहाद के जरिए वह धर्म परिवर्तन करा रहा था। एटीएस के हाथ बाबा की कॉल रिकॉर्डिंग लगी है, जिसमें वह अपने सहयोगियों से कोड वर्ड में बातचीत करता हुआ पाया गया। कोड वर्ड और उनके अर्थ: मिट्टी पलटना- धर्मांतरण कराना, प्रोजेक्ट- टारगेट की गई लड़कियां, काजल- लड़कियों को मानसिक रूप से परेशान करना और उनका ब्रेनवॉश, दर्शन- छांगुर बाबा से मुलाकात कराना।
जांच में पता चला कि छांगुर बाबा की मधपुर गांव स्थित कोठी में एक मार्बल से सजा हुआ आलीशान अस्तबल था, जहां विदेशी नस्ल के घोड़ों को ‘वीआईपी’ सुविधाओं के साथ रखा जाता था। इसके अलावा उसके पास जर्मन शेफर्ड, ब्लैक डॉग और बुलडॉग जैसी विदेशी नस्ल के कुत्ते और जर्सी गायें भी थीं। ये सभी पशु बाबा की कोठी के अंदर ही रखे जाते थे। धार्मिक किताबों के साथ एक सीक्रेट रूम का खुलासा भी हुआ, जिसने अवैध धर्मांतरण के शक को और पुख्ता किया।
जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा चैरिटेबल ट्रस्ट चलाता था। इसकी आड़ में वह गैर मुस्लिम महिलाओं का धर्मांतरण करता था। यही नहीं उसने बकायदा लड़कियों के धर्मांतरण के लिए रेट भी तय किए हुए थे। इसमें सबसे ज्यादा रेट ब्राह्मण, सरदार और क्षत्रिय लड़कियों के थे। जलालुद्दीन ने किस जाति की लड़की के धर्मांतरण पर कितने रुपये देने हैं, सब फिक्स कर रखा था।
इसमें ब्राह्मण, सरदार और क्षत्रिय की लड़कियों के लिए 15 से 16 लाख रुपये फिक्स था। पिछड़ी जाति की लड़कियों के लिए 10 से 12 लाख और अन्य जातियों की लड़कियों के लिए 8 से 10 लाख रुपये धर्मांतरण के बाद दिए जाते थे। रुपयों का भुगतान आस्वी चैरिटेबल ट्र्स्ट से किया जाता था। छांगुर बाबा के चारों संस्थाओं के नाम पर आठ बैंक खाते मिले हैं। जिनके जरिए लेन-देने होता था।
यूपी एटीएस की जांच में खुलासा हुआ कि कभी सड़कों पर साइकल से घूमकर अंगूठी और नग बेचने वाला छांगुर बाबा महज 5-6 साल में 100 करोड़ रुपये की संपत्ति का मालिक बन गया। इस संपत्ति में आलीशान कोठी, लग्जरी गाड़ियां, शोरूम और पुणे में 16 करोड़ की प्रॉपर्टी शामिल हैं। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह सब विदेशी फंडिंग, खासकर खाड़ी देशों से प्राप्त धन के जरिए संभव हुआ। बाबा और उनके सहयोगियों के 40 से अधिक बैंक खातों में 106 करोड़ रुपये का लेन-देन पाया गया है।
छांगुर बाबा ने नवीन रोहरा उर्फ जमालुद्दीन और नीतू रोहरा उर्फ नसरीन के साथ मिलकर इंडो-नेपाल बॉर्डर पर स्थित उतरौला कस्बे को अपने ऑपरेशन का केंद्र बनाया। यहीं से धर्मांतरण का पूरा नेटवर्क तैयार किया गया। दोनों की शैक्षणिक योग्यता भी सिर्फ सातवीं कक्षा तक है। नीतू और नवीन की बेटी सबीहा है। छांगुर बाबा ने अपने नाती की सगाई नीतू उर्फ नसरीन की 18 साल की बेटी सबीहा से करवाई थी। सबीहा का नाम पहले समाले था। बाद में उसका भी धर्म परिवर्तन करा दिया गया।
छांगुर बाबा ने करीब 3 करोड़ की लागत से आलीशान कोठी बनवाई थी। धर्मांतरण का काला धंधा उजागर होने के बाद से इस कोठी को तोड़ने के लिए 8 बुलडोजर लगातार लगे रहे। सवाल उठा कि छांगुर बाबा की काली कोठी को तोड़ने के लिए 8 जेसीबी क्यों बुलानी पड़ीं? दरअसल यह जानकारी सामने आई है कि छांगुर बाबा के घर की दीवारें बहुत मजबूत बनाई गई थीं। दीवारों में पुल बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले हाईक्वालिटी रॉड्स का इस्तेमाल किया गया था। लोहे की तरह दीवारें बनी हुई थीं।