नयी दिल्ली। वित्त सचिव तुहिन कांत पांडे ने कहा कि सरकार ने राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए कदम उठाते हुए ऐसा बजट पेश किया है जिससे महंगाई नहीं बढ़ेगी। अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति को वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दर में कटौती पर फैसला करना है। पांडे ने कहा कि राजकोषीय नीति और मौद्रिक नीति को एक साथ काम करने की जरूरत है, न कि विपरीत उद्देश्यों के लिए… क्योंकि अगर हम मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने में सक्षम हैं, तो मौद्रिक सहजता से भी बहुत अधिक लाभ होगा।
बजट में राजकोषीय घाटे के वित्त वर्ष 2025-26 में 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो चालू वित्त वर्ष 2024-25 के 4.8 प्रतिशत से कम है। पांडे ने यहां भारतीय वाणिज्य एंव उद्योग मंडल (एसोचैम) के साथ बजट के बाद आयोजित परिचर्चा में कहा, ‘‘ यह स्पष्ट करना बहुत जरूरी है कि हमें एक निश्चित राजकोषीय व्यवस्था के भीतर क्या करना है। हमें उस सीमा तक मौद्रिक अधिकारियों की सहायता करनी होगी…
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक पांच फरवरी से शुरू होगी। एमपीसी सात फरवरी को अपने नीतिगत निर्णयों की घोषणा करेगी। रुपये में गिरावट से मुद्रास्फीति को लेकर बढ़ने वाली चिंता के बारे में पूछे जाने पर सचिव ने कहा कि गिरावट का असर आयात से बढ़ने वाली महंगाई पर होता है, लेकिन इससे निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता भी बढ़ती है। यह पूछे जाने पर कि क्या मौद्रिक नीति समिति नीतिगत दरों में कटौती का फैसला करेगी, पांडे ने कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि यह फैसला एमपीसी करेगी। वे स्थिति से वाकिफ हैं। वे फैसला लेंगे।