टेस्ला की एंट्री के लिए अमेरिका चाहता है जीरो टैरिफ

नई दिल्ली। अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ वॉर को लेकर हाल के दिनों में तनाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने की घोषणा की है, जिसका मतलब है कि अमेरिका उसी अनुपात में टैरिफ लगाएगा, जितना कोई देश अमेरिकी उत्पादों पर इम्पोर्ट ड्यूटी लगाता है। अमेरिका चाहता है कि भारत-अमेरिका व्यापार में कृषि उत्पादों को छोड़कर बाकी सभी सामानों पर “जीरो टैरिफ”लागू किया जाए।

हालांकि, इस प्रस्ताव की पूरी रूपरेखा अभी तय नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, इस पर चर्चा जारी है। भारत और अमेरिका के बीच यह टैरिफ विवाद आगे भी चर्चा का विषय बना रहेगा। अगर कोई संतुलित समझौता नहीं हुआ, तो दोनों देशों के बीच व्यापार तनाव बढ़ सकता है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी असर डाल सकता है।

अमेरिका चाहता है कि भारत ऑटोमोबाइल पर आयात शुल्क हटाए, और यह मामला टेस्ला (Tesla) की भारत में संभावित एंट्री से पहले और ज्यादा तूल पकड़ने लगा है।आयात शुल्क और लोकल मैन्युफैक्चरिंग को लेकर किसी मध्य मार्ग पर सहमत हों। भारत को अपने घरेलू उद्योगों की सुरक्षा और विदेशी निवेश बढ़ाने के बीच संतुलन बनाना होगा।

एलन मस्क की ट्रंप सरकार में अहम भूमिका और उनकी कंपनी टेस्ला की भारत में संभावित एंट्री को देखते हुए यह समझना मुश्किल नहीं है कि भारत के ऑटोमोबाइल इम्पोर्ट टैरिफ इस समय सबसे ज्यादा चर्चा में क्यों हैं। 4 मार्च को अमेरिकी कांग्रेस में डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के ऊंचे टैरिफ को “नाकाबिले बर्दाश्त” बताया।ट्रंप ने जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी, जिससे यह संकेत मिलता है कि अमेरिका भारत पर टैरिफ कम करने का दबाव बढ़ाएगा।

भारत सरकार टैरिफ को पूरी तरह खत्म करने को तैयार नहीं है, क्योंकि इससे घरेलू ऑटोमोबाइल उद्योग को बड़ा झटका लग सकता है। हालांकि, भारत धीरे-धीरे आयात शुल्क (Import Duty) घटाने पर विचार कर रहा है, ताकि विदेशी कंपनियों को अवसर मिले, लेकिन घरेलू कंपनियों को अचानक नुकसान न हो। भारत धीरे-धीरे टैरिफ कम कर सकता है, खासकर इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सेगमेंट में, जिससे टेस्ला को राहत मिले और भारत में EV को बढ़ावा मिले।

भारत और अमेरिका के बीच ऑटोमोबाइल टैरिफ को लेकर तनाव बढ़ रहा है, लेकिन भारत अपनी अर्थव्यवस्था और घरेलू कंपनियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए धीरे-धीरे टैरिफ कम करने की नीति अपनाने पर विचार कर रहा है। ट्रंप प्रशासन भारत पर दबाव बढ़ा सकता है, लेकिन भारत बिना अपनी इंडस्ट्री को नुकसान पहुंचाए किसी मध्य मार्ग पर समझौता करने की कोशिश करेगा

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