संजीव कुमार, जिनका असली नाम हरि हरजीवन राम नायक था, हिंदी सिनेमा के एक ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने अपनी विविधता से हर भूमिका को जीवंत कर दिया। उनका निधन 6 नवंबर 1985 को हुआ था, और आज भी वे दर्शकों के दिलों में जीवित हैं, खासकर उनकी अद्वितीय और यादगार भूमिका ठाकुर के रूप में फिल्म शोले में। उनको ‘हरफनमौला स्टार’ भी कहा जाता था।
संजीव कुमार का अभिनय करियर बहुत ही प्रेरणादायक था। उन्हें ‘हरफनमौला स्टार’ के तौर पर पहचाना जाता था, क्योंकि उन्होंने हर प्रकार के किरदार निभाए—हीरो, विलेन, साइड रोल और चरित्र अभिनेता, सभी में उन्होंने अपनी अद्वितीय छाप छोड़ी। उनका अभिनय न केवल सशक्त था, बल्कि उन्होंने अपने किरदारों में गहरी भावनाओं और जटिलताओं को भी अभिव्यक्त किया।
उनकी प्रमुख फिल्मों में शोले, खिलौना, आंधी, नदिया के पार, सिलसिला, त्रिशूल, मिली, और दोस्त जैसी यादगार फिल्में शामिल हैं। इनमें से शोले में उनका ठाकुर का रोल आज भी सबसे अधिक चर्चित है। फिल्म में उन्होंने अपने अभिनय से न केवल एक साहसी पुलिस अधिकारी का चित्रण किया, बल्कि अपनी शारीरिक कमी के बावजूद अपनी ताकत, साहस, और मानवीय संवेदनाओं का भी बेहतरीन प्रदर्शन किया। उनका संवाद “क्या तुम्हारे पास है?” और “ठाकुर ने न अपनी तो पूरी जिंदगी दी है” आज भी याद किया जाता है।
संजीव कुमार का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। वे एक समर्पित अभिनेता थे, जिन्होंने कभी भी अपने करियर में सफलता पाने के लिए कोई समझौता नहीं किया। उनका अभिनय इतना प्रभावशाली था कि उन्होंने किसी भी भूमिका में खुद को ढाल लिया। चाहे वह एक रोमांटिक हीरो हो, एक गंभीर और गहरी भावनाओं वाला व्यक्ति हो या फिर एक चुनौतीपूर्ण विलेन, उन्होंने हर भूमिका को अपने अभिनय से जीवंत किया।
संजीव कुमार की निजी जिंदगी भी काफी दिलचस्प थी। उनका प्रेम जीवन और उनकी सिंगल रहने की पसंद अक्सर चर्चा का विषय बनते थे। हालांकि उन्होंने कभी शादी नहीं की, लेकिन उनका दिल बहुत ही उदार और भावनात्मक था, जो उनके अभिनय में स्पष्ट दिखता था।
आज, उनके योगदान को न केवल फिल्म इंडस्ट्री बल्कि उनके फैंस भी याद करते हैं। संजीव कुमार को सिनेमा के इतिहास में एक सशक्त और बहुमुखी अभिनेता के रूप में हमेशा याद किया जाएगा।