ज्ञानवापी मामले में बयानबाजी पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी सहित 2000 अज्ञात के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की गई है। इस मामले में आज वाराणसी के अपर सत्र न्यायाधीश नवम विनोद यादव की कोर्ट में सुनवाई होगी। प्रतिवादी अखिलेश यादव की ओर से अधिवक्ता अनुज यादव ने पक्ष रख चुके हैं। असदुद्दीन ओवैसी को ओर से अधिवक्ता एहतेशाम आब्दी और शवनवाज परवेज ने कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर चुके हैं। अन्य आरोपियों को जज ने जवाब देने के लिए आज अंतिम मौका दिया है। इसके बाद जज सभी पक्षों को सुनेंगे। वहीं वादी यानी हरिशंकर पांडेय ने FIR दर्ज करने की मांग की है।
अखिलेश और ओवैसी ने क्या कहा था?
अपर जिला जज (नवम) की अदालत में प्रतिवादी पक्ष यानी अखिलेश यादव, असदुद्दीन ओवैसी पर सिविल कोर्ट के एडवोकेट हरिशंकर पांडेय का आरोप है कि वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग को लेकर इन लोगों ने धार्मिक भावनाएं आहत करने वाला बयान दिया था। अखिलेश यादव कहा था, “पीपल के पेड़ के नीचे पत्थर रख कर झंडा लगा दो तो वही भगवान और शिवलिंग हैं। जबकि असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था, “हम अब किसी और मस्जिद को खोने नहीं देंगे, ज्ञानवापी फैसला पूजा स्थल अधिनियम 1991 के खिलाफ है। ये भविष्य में ऐसे बहुत से मसलों को खोल देगा। देश में अस्थिर प्रभाव पैदा कर सकता है।”
हरिशंकर पांडेय बोले- शिवलिंग को फव्वारा बताना साजिश
एडवोकेट हरिशंकर पांडेय के अनुसार- दोनों नेताओं ने इस तरह के बयान देकर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाया है। इसको लेकर कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। जिसमें कहा था, “पूज्य शिवलिंग जहां मिला है, वहां हाथ-पैर धोए जाने, थूकने और गंदा पानी बहाने से असंख्य सनातन धर्मियों का मन पीड़ा से भरा है। आरोपियों ने साजिश के तहत स्वयंभू आदि विश्वेश्वर के शिवलिंग को फव्वारा कह कर सनातनधर्मियों की आस्था पर कुठाराघात और आमजन में विद्वेष फैलाने का काम किया है।”
निचली अदालत निरस्त कर चुकी है प्रार्थना पत्र
एडवोकेट हरिशंकर पांडेय ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी समेत अन्य पर ACJM (MP-MLA) कोर्ट में एक वाद दाखिल किया था। बयानबाजी मामले में चौक थाने में मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी। चार फरवरी को कोर्ट ने प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया था। इसके बाद हरिशंकर पांडेय ने अखिलेश और ओवैसी के बयान के खिलाफ 11 मार्च को जिला जज की कोर्ट में रिवीजन पिटिशन (पुनरीक्षण याचिका) दाखिल किया था। इसे स्वीकार कर पहली सुनवाई 25 मार्च को हुई, फिर 17 जून, 7 जुलाई और 20 जुलाई, 16 अगस्त, 22 अगस्त, 12 सितंबर, 6 अक्टूबर, 16 अक्टूबर, 16 नवंबर, 20 नवंबर को सुनवाई हुई। अब आज यानी 2 दिसंबर को सुनवाई होनी है।