नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा दिल्ली में एक समूह द्वारा आयोजित 14वें एग्रीकल्चर लीडरशिप कॉन्क्लेव व अवार्ड्स समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। अर्जुन मुंडा ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में कृषि परिदृश्य में काफी सकारात्मक बदलाव हुआ हैं, जिसमें किसानों व वैज्ञानिकों का अहम योगदान है। यह देश किसानों का देश है, हमारे किसान देश की शान है। किसानों की लंबे कालखंड में उपेक्षा हुई लेकिन मोदी सरकार किसान कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।
श्री मुंडा ने कहा कि कृषि, देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। आज भारत अनेक कृषि उत्पादों में नंबर वन है। इन्हें उपजाने वाले हमारे कृषक खुशहाल होंगे, तो देश खुशहाल होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में कृषि विकास एवं किसानों के कल्याण को प्राथमिकता देते हुए योजनाएं प्रारंभ की गई हैं। निःसंदेह हमारा कृषि क्षेत्र तेजी से प्रगति कर रहा है लेकिन सबको मिल-जुलकर आगे और भी प्रयास करने होंगे।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने आव्हान किया है कि खोज भी हो, शोध भी हो और आत्मनिर्भरता भी हो, जिसका उद्देश्य यही है कि हर किसान परिवार खुश रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह मोदी सरकार ही है जिसने खेती-किसानी करने वाले व मत्स्यपालन एवं पशुपालन करने वाले प्रगतिशील लोगों को पद्मश्री से नवाजा है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। केंद्रीय मंत्री श्री मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में सरकार पठारी व पहाड़ी इलाकों में दूरस्थ रहने वाले आदिवासी भाइयों-बहनों के उत्थान पर भी फोकस कर रही है, इसीलिए लगभग 24 हजार करोड़ रुपये के बजट के साथ प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम जनमन) की पहल की गई है, जो कि वोट की राजनीति से बिल्कुल परे हैं।
अपने दीर्घ अनुभव से प्रधानमंत्री श्री मोदी देश में लंबे कालखंड से चली आ रही समस्याओं के समाधान का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। इसी क्रम में विकसित भारत संकल्प यात्रा का शुभारंभ खूंटी (झारखंड) से प्रधानमंत्री ने किया, जो देश में निकल रही है। श्री मोदी ने दुनिया को इस बात के लिए प्रेरित किया है कि मिल-जुलकर भूखमरी के खिलाफ कैसे लड़ सकते हैं। श्री मुंडा ने कृषि क्षेत्र की उपलब्धियां बताते हुए आयात घटाने के साथ ही निर्यात बढ़ाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि हम सब अपनी मिट्टी से जुड़े रहे व मिट्टी की उर्वरा क्षमता को नैसर्गिक तरीके से बढ़ाएं। श्री मुंडा ने कहा कि मेक इन इंडिया दृष्टिकोण से प्राकृतिक उत्पादों के प्रति सभी को संवेदनशील होना चाहिए।