पत्र लिखकर अधिकारियों को दी गई चेतावनी, न करायें बाहरी लोगों से काम
लखनऊ। दलालों से काम करवाने के मामले में अभी तक केवल आरटीओ दफ्तर ही बदनाम था। मगर वाणिज्य कर महकमा उससे भी कहीं आगे निकल गया। पानी जब सिर से ऊपर निकल गया तो मजबूरन मातहतों के लिए अधिकारियों ने चिट्ठी जारी की है, जिसके माध्यम से बाहरी लोगों से काम नहीं करवाने की हिदायत दी गई है।
वाणिज्य कर विभाग के अधिकारी अपने कार्यालय का काम बाहरी लोगों से करा रहे हैं। विभागीय पत्र में एक बार फिर से यह बात सामने आई है। शासन के लगातार आदेश के बाद भी बाहरी लोगों से काम करवाने का गैर कानूनी काम खत्म नहीं हो रहा है। विभाग में झांसी, गाजियाबाद, नोएडा, आगरा, प्रयाग राज, गौतम बुद्ध नगर समेत कई जगहों पर बाहरी लोगों से काम कराया जा रहा है। विभाग के एडिशनल कमिश्नर वाणिज्य कर सूर्यमणि लालचंद्र ने सभी जोन के अधिकारियों को पत्र लिखकर इसको रोकने की बात कही है। दरअसल, इसको लेकर यूपी राज्य कर्मचारी महासंघ की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई थी।
उन्होंने कहा कि ऐसी शिकायतें आ रही है। अभी भी बाहरी लोगों से काम कराया जा रहा है। दरअसल, वाणिज्य कर विभाग में गोरखपुर, लखनऊ समेत कई शहरों में बाहरी लोग काम करते हुए पकड़े गए थे। साल 2019 में ऐसे कई मामले आए थें। इसमें कई अधिकारी अपने यहां कम्प्यूटर ऑपरेटर रखे हुए थें। इसमें उनका विभागीय कोड तक का डेटा उस बाहरी व्यक्ति के पास रहता है। वाणिज्य कर विभाग चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के नेता सुरेश सिंह यादव का कहना है कि यही लोग पैसा लेकर गैर कानूनी तरीके से विभागीय काम करते थें। इससे भ्रष्टाचार बढ़ता था। अफसर इन्हें अपनी लॉग-इन आईडी तक दे देते हैं।
नियम विपरीत हो रहे काम
सुरेश यादव का आरोप है कि अफसर बाहरी लोगों के जरिए नियमों के उलट काम करवाते हैं। साल 2018 से यह धंधा चल रहा है। इसमें अधिकारी पूरे विभाग की गोपनियता को खतरे में डाल रहे हैं। इसकी शिकायत सीएम और विभाग के प्रमुख सचिव से भी की गई थी। कर्मचारी संगठनों का दावा है कि लखनऊ ,कानपुर,गाजियाबाद,आगरा, मुरादाबाद,प्रयाग राज ,वाराणसी समेत कई शहरों को मिलाकर करीब 1000 बाहरी व्यक्ति काम कर रहे है।
दलालों से काम करवाने में सचल दल अव्वल
बताया जा रहा है कि सबसे ज्यादा बाहरी लोग संचल दल में काम करते है। इस दल की जिम्मेदारी छापा मारना और नियमों के खिलाफ कारोबार करने वाले पर कार्रवाई करना होता है। ऐसे में कारोबारियों की मिलीभगत कर यह पूरा काम कराया जाता है। सुरेश सिंह यादव ने बताया कि साल 2019 में इसका वीडियो साक्ष्य भी दिया गया था, उसके बाद भी इस पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई। इसकी वजह यह लोग अभी भी यह काम कर रहे है।