मोदी सरकार में ग्यारह साल की उपलब्धियां

नई दिल्ली।  भारतीय परंपरा में ग्यारह की संख्या शुभ मानी जाती है। पारिवारिक और धार्मिक समारोहों में शगुन के रूप में ग्यारह रूपए की भेंट देने की परंपरा इसी वजह से रही है। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल को शगुन काल भी कह सकते हैं। ग्यारह साल का वक्त कम नहीं होता। इस दौरान पीढ़ी भी बदल जाती है। ऐसे में इस पूरे दौर का जो मूल्यांकन होगा, उसे पीढ़ीगत नजरिए से भी देखना होगा, क्योंकि हर नई पीढ़ी का नजरिया बुजुर्गों से अलग होता है। इन अर्थों में देखेंगे तो प्रधानमंत्री मोदी और उनका कार्यकाल अनूठा लगेगा। मोदी और उनकी कार्यशैली पुरानी पीढ़ी को भी पसंद हैं और नई पीढ़ी के तो प्रेरक हैं ही। इसकी वजह है, उनकी अद्भुत संप्रेषण कला, जिसके जरिए वे सीधे लोगों के दिलों से जुड़ जाते हैं। 

नेहरू और इंदिरा के कार्यकाल के बाद लंबा कार्यकाल वाले प्रधानमंत्री की सूची में मोदी पहुंच चुके हैं। किसने सोचा था कि 1984 में महज दो लोकसभा सीटों तक सिमटने वाली भारतीय जनता पार्टी कभी लगातार तीन संसदीय चुनावों में बाजी मारती रहेगी। इसमें शक नहीं कि यह उपलब्धि भारतीय जनता पार्टी को मोदी के नेतृत्व से ही हासिल हुई है। अगर जनता ने मोदी पर लगातार भरोसा जताया तो इसकी वजह है उनकी कार्यशैली। 2014 की जीत में लोगों की उम्मीदें थीं। इन उम्मीदों की वजह विकास का उनका गुजरात मॉडल रहा।

लोगों की उम्मीदों को पूरा करने की उन्होंने जो कोशिश की, 2019 में उसे जनता का भरपूर साथ मिला। उनमें भरोसे की वजह ही थी कि उन्हें और ज्यादा भारी बहुमत से रायसीना की पहाड़ियों के बीच शपथ लेने का मौका मिला। इस कड़ी में देखें तो 2024 में बहुमत से दूर रह जाना खटकता है। लेकिन नहीं भूलना चाहिए कि दस साल के कार्यकाल में आकांक्षाओं का उद्दाम होना स्वाभाविक है और सारी आकांक्षाओं का पूरा कर पाना भी संभव नहीं है। इसलिए कुछ लोग हो सकता है निराश भी रहे हों। जिसका असर चुनाव नतीजों पर दिखा। 

मोदी के कार्यकाल की कई उपलब्धियां हैं। मोटे तौर पर सबसे बड़ा जो बदलाव दिखता है, वह है कि इस पूरी अवधि में देश में कोई बड़ा भ्रष्टाचार नहीं दिखा। ऐसा नहीं कि सरकारी तंत्र से भ्रष्टाचार पूरी तरह खत्म हो गया है। जमीनी स्तर पर सरकारी तंत्र की सोच में पारंपरिक भ्रष्टाचारी गंध है। मोदी सरकार के कार्यकार में यह हुआ है कि भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसता रहा है। इस शिकंजे से न तो अधिकारी बाहर हैं और न ही राजनेता। तकरीबन पूरे देश में सरकारी तंत्र के कामकाज का अपना तरीका रहा है, उसकी अपनी गति रही है। लेकिन मोदी के नेतृत्व में अब कामकाज का तरीका बदला है। इसे समझने के लिए हाल ही में हुए दुनिया के सबसे ऊंचे पुल के उद्घाटन समारोह को देख सकते हैं। चिनाब पुल के उद्घाटन के वक्त जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जब इस परियोजना की शुरूआत हुई, तब वे आठवीं में पढ़ रहे थे, अब वे पचपन साल के हैं और अब जाकर यह पूरा हो पाया है।

मोदी के ग्यारह साल के शासन में तंत्र का कामकाज का तरीका बदला है। अब वह ज्यादा अनुशासित और लक्ष्यों को वक्त पर पूरा करने को लेकर ज्यादा प्रतिबद्ध हुआ है। नौकरशाही में संजीदापन तो आया है, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में नौकरशाही पर तंत्र के दूसरे अंगों की बजाय ज्यादा भरोसा बढ़ने की वजह से तटस्थ लोगों की नजर में ब्यूरोक्रेसी कई मामलों में बेलगाम भी हुई है। इसे संयोग ही कहेंगे कि जिस समय मोदी सरकार अपनी ग्यारहीं सालगिरह मनाने जा रही है, उसी वक्त विश्व बैंक की एक रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान देश में गरीबों की संख्या 27.1 फीसद से घटकर 5.3 प्रतिशत रह गई है। इससे पहले बीते एक दशक में अत्यधिक गरीबी में जिंदगी गुजार रहे लोगों की दर 2011-12 में जहां 27.1 प्रतिशत रही, वह घट कर 5.3 फीसद रह गई है। यह तब हुआ है, जब विश्व बैंक ने गरीबी रेखा के लिए तीन डॉलर प्रतिदिन खर्च की सीमा कर दी है, जबकि इसके पहले यह सीमा 2.15 डॉलर प्रतिदिन थी।

जाहिर है कि इसके पीछे 81 करोड़ लोगों को मुफ्त अन्न योजना के साथ ही उज्ज्वला, मुद्रा आदि योजनाओं की कामयाबी रही है। मोदी सरकार की कई उपलब्धियां है। देश ने मेडिकल कॉलेजों के मोर्चे पर बड़ी सफलता हासिल की है। साल 2014 में जहां इन कॉलेजों की संख्या 387 थी, वह 2025 में बढ़कर 780 हो गई है। इसी तरह एमबीबीएस की सीटें भी 51,348 से बढ़कर 2024 में 1.18 लाख हो गई हैं। मोदी सरकार के कार्यकाल में बीजेपी के दावे के अनुसार, 17.1 करोड़ नई नौकरियां निकलीं। इस दौरान स्टार्टअप से 1.61 लाख युवाओं को रोजगार मिला। बीजेपी के दावे के अनुसार, सरकार की कौशल विकास मिशन के तहत अब तक 2.27 करोड़ से अधिक युवाओं को ट्रेनिंग मिल चुकी है। उज्ज्वला योजना के तहत अब तक करीब दस करोड़ 28 लाख से ज्यादा गैस कनेक्शन दिए जा चुके हैं। मुद्रा योजना के तहत करीब 52करोड़ ऋण खाते खोले गए हैं, यानी करीब इतने लोगों को कर्ज मिल चुका है। इससे उद्यमशीलता को बढ़ावा मिला है। प्रधानमंत्री आवास,  जन-धन और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं ने देश में बदलाव लाने में बड़ी भूमिका निभाई है। देशभर में बारह करोड़ शौचालयों का निर्माण भी मामूली उपलब्धि नहीं है। मोदी सरकार की इन योजनाओं के चलते देश में बदलाव हुआ है। सबसे बड़ा बदलाव डीबीटी यानी सीधे कैश ट्रांसफर की योजनाओं ने ग्रामीण और कमजोर वर्गों तक शासन की योजनाओं की पहुंच बढ़ाई है।

जापान को पछाड़कर भारत हाल ही में दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। इसका भी श्रेय मोदी सरकार को ही जाता है। देश सिर्फ आर्थिक ही नहीं, सांस्कृतिक मोर्चे पर लगातार विकास कर रहा है। इस विकास में परंपरा, आधुनिकता और वैश्विक जुड़ाव का अद्भुत समावेश नजर आता है। मोदी सरकार की ही देन है कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, उज्जैन का महाकाल लोक, मां कामाख्या मंदिर, राम मंदिर अयोध्या, केदारनाथ धाम और जूना सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ है। राममंदिर के निर्माण की उपलब्धि ही मोदी सरकार के खाते में जाती है। इसी दौरान उत्तराखंड में चारधाम राजमार्ग परियोजना, हेमकुंड साहिब रोपवे और बौद्ध सर्किट विकास जैसी योजनाएं शुरू हुईं। करतारपुर कॉरिडोर के चलते पाकिस्तान स्थित दरबार साहिब भारतीय सिखों के लिए सुलभ हुआ।

इसी दौरान राष्ट्रनिर्माताओं को सम्मान देने की दिशा में प्रधानमंत्री संग्रहालय, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक, राष्ट्रीय पुलिस स्मारक, जलियांवाला बाग स्मारक और 11 आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय जैसे संस्थान बनाए गए। मोदी के कार्यकाल में ही देश की खोई धरोहरों की वापसी का अभियान तेज हुआ। 2013 से पहले विदेशों में चोरी से गई सिर्फ 13 प्राचीन वस्तुओं की ही वापसी हुई थी, जबकि 2014 के बाद से अब तक 642 प्राचीन वस्तुएं भारत लौटाई गई हैं, जिनमें से अकेले अमेरिका से 578 कलाकृतियां लौटी हैं।आयुर्वेद और योग की वैश्विक मान्यता भी मोदी सरकार की ही उपलब्धि कही जाएगी।

मोदी सरकार के ही कार्यकाल में आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति बनी और उसे लागू किया गया। ऑपरेशन सिंदूर उसका ही प्रतीक है। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 का खात्मा, 2019 में पुलवामा हमले के जवाब में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक, जैसे कदम मोदी सरकार ने ही उठाए। मोदी के शासन काल में भारत ने ग्लोबल साउथ की अवधारणा को मजबूत करते हुए अफ्रीकी देशों से नए सिरे से संबंध बढ़ाए। रूस और यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी रोक-टोक के बावजूद भारत रूस से सस्ती दरों पर पेट्रोलियम तेल खरीदने में सफल रहा। उत्तर पूर्वी राज्यों को देश की मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिशें इसी दौर में तेजी से बढ़ीं। नक्सलवाद पर लगाम भी तेजी से इसी दौर में लगा। 

मोदी सरकार की उपलब्धियों की फेहरिस्त लंबी है। लेकिन भारत जैसे बहुभाषी, बहुरंगी देश में अब भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। आर्थिक आय की असमानता में संतुलन आज की बड़ी जरूरत है। भारत को यूरोप की तर्ज पर विकसित करने, प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाने की जरूरत अब भी है। उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले दिनों में भारत इन उपलब्धियों को भी हासिल करने में सफल रहेगा। 

Related Articles

Back to top button