यूपी में एआई की मदद से रुकेंगी दुर्घटनाएं

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार सड़क सुरक्षा को लेकर एक नई पहल करने जा रही है। यह पहल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर आधारित है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ( MoRTH ) ने इस परियोजना को मंजूरी दे दी है। इस तरह उत्तर प्रदेश, एआई से सड़क सुरक्षा का परीक्षण करने वाला पहला राज्य बन गया है। इस परियोजना में दुर्घटना की रिपोर्ट, मौसम, वाहन की जानकारी, ड्राइवर का रिकॉर्ड और सड़क के ढांचे से जुड़े डेटा को मिलाकर एआई मॉडल बनाया जाएगा। इससे नागरिकों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और कई काम तेजी से होंगे। सरकार ने इस परियोजना के लिए 2025-26 के बजट में 10 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।

परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने बताया कि इस परियोजना को शुरू करने के लिए आईटीआई और एमलॉज‍िका टीम को तमाम विभागों की आईटी टीमों, प्रवर्तन टीमों और सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठों के साथ काम करने के लिए कह दिया गया है। परियोजना पूरी होने के बाद इसकी रिपोर्ट MoRTH को भेजी जाएगी।

इस परियोजना का पहला चरण छह सप्ताह का होगा। इसमें दुर्घटना की रिपोर्ट, मौसम, वाहन की जानकारी, ड्राइवर का रिकॉर्ड और सड़क के ढांचे से जुड़े डेटा को इकट्ठा किया जाएगा। इस पर आधारित एआई मॉडल तैयार किया जाएगा। इससे दुर्घटना के कारणों का पता लगाना आसान हो जाएगा। साथ ही, सड़कों और राजमार्गों पर ब्लैक स्पॉट (खतरनाक जगह) का भी पता चल जाएगा। इसके अलावा, एक रीयल-टाइम पॉलिसी डैशबोर्ड भी बनाया जा सकेगा।

अगर यह परियोजना सफल रही, तो परिवहन विभाग की अन्य डिजिटल सेवाएं भी एआई से लैस हो जाएंगी। इसका उपयोग फेसलेस ड्राइविंग लाइसेंस और परमिट बनवाने के लिए किया जाएगा। एआई से ही आवेदन की स्वीकृति और प्रिंटिंग का काम होगा। इसके बाद, प्रवर्तन प्रक्रिया में भी एआई का इस्तेमाल बढ़ाया जाएगा।

इस परियोजना के माध्यम से धोखाधड़ी होने पर तुरंत पता चल जाएगा। वाहनों की लोकेशन, मौके पर कार्रवाई, ई-चालान वसूली भी इसके जरिए होगी। साथ ही, विभाग को आय, उल्लंघन और दस्तावेजों की जानकारी एक ही डैशबोर्ड पर मिल जाएगी। इससे परिवहन तकनीक के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश का एक अलग स्थान होगा।

परिवहन आयुक्त ने बताया कि एआई से पांच करोड़ वाहन और तीन करोड़ ड्राइविंग लाइसेंस धारक जुड़ेंगे। इस परियोजना से दुर्घटनाओं में कमी आएगी और नागरिक सेवाओं में पारदर्शिता आएगी। विभाग को संचालन के लिए पर्याप्त डेटा उपलब्ध रहेगा। जल्दी ही एआई मॉडल को सड़क सुरक्षा के अलावा विभाग के अन्य कार्यों में भी लगाया जाएगा।

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