महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए पूरी तैयारी हो चुकी है, और इस बार कुल 4,140 उम्मीदवार मैदान में हैं, जो 2019 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले 28% अधिक हैं। यह आंकड़ा बताता है कि इस बार चुनावी प्रतिस्पर्धा ज्यादा तीव्र और विविधतापूर्ण होने वाली है, जिससे राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को अपनी रणनीतियाँ और प्रचार गतिविधियाँ पहले से बेहतर बनानी होंगी।
जहां तक सतेज पाटिल और मधुरिमा राजे छत्रपति के मामले की बात है, यह राजनीतिक स्थिति राज्य के भीतर कांग्रेस और कुछ अन्य दलों के लिए चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकती है। मधुरिमा राजे छत्रपति का नाम वापस लेना, खासकर कांग्रेस के पश्चिमी महाराष्ट्र के गढ़ों में, पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा सकता है। सतेज पाटिल का गुस्सा और निराशा इस बात का संकेत है कि कांग्रेस को इन क्षेत्रों में अपने प्रभाव को बनाए रखने में मुश्किलें आ सकती हैं। पाटिल का यह कहना कि “अगर उन्हें साहस नहीं था, तो चुनाव नहीं लड़ना चाहिए था”, पार्टी की आंतरिक असंतोष और निर्णयों पर सवाल उठाता है।
महाराष्ट्र में इस बार कुल 288 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं, जिनमें से 7,078 नामांकन पत्रों में से 2,938 उम्मीदवारों ने नाम वापस ले लिया, जिससे वर्तमान में 4,140 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। नामांकन वापस लेने की संख्या यह दर्शाती है कि कई उम्मीदवार ने चुनावी मैदान में उतरने से पहले अपने राजनीतिक समीकरणों और परिस्थितियों का पुनः मूल्यांकन किया।
दिलचस्प यह है कि नंदुरबार की शहादा सीट पर केवल 3 उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि बीड के माजलगांव सीट पर 34 उम्मीदवार हैं। मुंबई और पुणे जैसे बड़े शहरों में भी मुकाबला कड़ा रहेगा, जहां मुंबई की 36 सीटों पर 420 उम्मीदवार और पुणे जिले की 21 सीटों पर 303 उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे।
अब जबकि नामांकन की अंतिम तिथि समाप्त हो चुकी है, चुनावी सरगर्मियाँ और भी तेज हो जाएंगी। मतदान 20 नवंबर को होगा और नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। यह चुनाव राज्य की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण हैं, और महाराष्ट्र के आगामी राजनीतिक परिदृश्य को आकार देंगे।