
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तेज बारिश ने एक बार फिर नगर निगम की लापरवाही उजागर कर दी। लगभग तीन घंटे तक मूसलाधार बारिश होती रही, जिससे शहर के कई हिस्सों में जलभराव की गंभीर स्थिति बन गई। स्मार्ट सिटी के दावों के बावजूद प्रमुख इलाकों में पानी भर गया, जिससे बाढ़ जैसे हालात हो गए और लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। बारिश बुधवार रात करीब 9 बजे शुरू हुई और कुछ ही समय में हजरतगंज, गोमतीनगर, गोमतीनगर विस्तार, इंदिरानगर, अलीगंज, पुरनिया, चौक महानगर, मड़ियांव और पुराने लखनऊ के अधिकांश क्षेत्रों में पानी भर गया। हाल में लखनऊ को स्वच्छ सर्वेक्षण में राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा मिला है।
बारिश की वजह से स्थिति इतनी खराब हो गई कि मुख्यमंत्री आवास से मात्र 500 मीटर दूर स्थित सिविल अस्पताल के सामने सड़क पर पानी जमा हो गया। गोमतीनगर विस्तार स्थित अंबेडकर पार्क के पास अंडरपास में हालात और भी खराब रहे। यहां लगभग 5 फीट पानी भर गया, जिससे आवागमन पूरी तरह ठप हो गया। देर रात नगर निगम के कर्मचारी पंपों की मदद से पानी निकालने में जुटे, लेकिन बारिश के चलते निकासी का काम धीमा पड़ गया।
पुरनिया के पास पूरी सड़क पानी में डूब गई। वहीं निचले इलाकों में पानी घरों तक घुस गया, जिससे लोगों की नींद हराम हो गई। कई लोग आधी रात तक अपने घरों से पानी निकालते रहे। स्थानीय निवासियों का कहना है कि हर साल बारिश में यही हाल होता है। नगर निगम समय से नालों की सफाई नहीं करता, नतीजा यह है कि थोड़ी सी तेज बारिश में ही मोहल्ले तालाब बन जाते हैं। जलभराव से न केवल आम जनजीवन प्रभावित हुआ बल्कि यातायात व्यवस्था भी चरमरा गई। कई सड़कों पर वाहन बंद पड़ गए, जिससे लंबा जाम लग गया। दोपहिया वाहन चालकों को घुटनों तक पानी में बाइक धकेलनी पड़ी। पैदल चलने वालों को भी कीचड़ और गंदे पानी से गुजरना पड़ा।
लखनऊ में जलभराव की समस्या केवल बरसाती पानी की निकासी से जुड़ी नहीं, बल्कि नालों के अतिक्रमण और गंदगी से भी है। पिछले कई सालों से नालों की सफाई और ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने के दावे किए जाते रहे हैं, लेकिन हकीकत में सुधार नहीं हुआ। बारिश के बाद सोशल मीडिया पर भी लोगों का गुस्सा फूट पड़ा।
कई लोगों ने जलमग्न सड़कों और घरों में भरे पानी की तस्वीरें और वीडियो साझा कर नगर निगम की आलोचना की। कुछ लोगों ने कहा कि बारिश ने साफ कर दिया कि स्मार्ट सिटी का टैग सिर्फ नाम का है। जब राजधानी का यह हाल है, तो बाकी शहरों में हालात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।