पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश 

वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नीरज कुमार त्रिपाठी की अदालत ने श्री रामचरित मानस पर विवादित बयान देने के मामले में पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कैंट थाना प्रभारी को केस दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया है। यह आदेश सत्र न्यायालय से निगरानी अर्जी स्वीकार होने के बाद पुनः सुनवाई के बाद दिया गया है। स्वामी प्रसाद मौर्य का यह बयान लगभग दो साल पहले का है।

अधिवक्ता अशोक कुमार की ओर से अधिवक्ता नदीम अहमद खान, मनोज कुमार, और विवेक कुमार ने वर्ष 2023 में कोर्ट में आवेदन किया था। आवेदन में कहा गया कि 22 जनवरी 2023 को पूर्व एमएलसी और सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक इंटरव्यू में श्री रामचरित मानस पर आपत्तिजनक बयान दिया था। अधिवक्ता अशोक कुमार ने बनारस बार एसोसिएशन के सभागार में लगी टीवी पर यह समाचार देखा और आहत हुए। 24 जनवरी 2023 को वाराणसी पुलिस कमिश्नर से प्रकरण की लिखित शिकायत की गई। इसके बाद एसीजेएम (प्रथम, एमपी/ एमएलए कोर्ट) की अदालत में 25 जनवरी 2023 को सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया।

इसे कोर्ट ने 17 अक्तूबर 2023 को खारिज कर दिया था। अशोक कुमार ने सत्र न्यायालय में आपराधिक रिवीजन दाखिल किया। विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए कोर्ट) की अदालत ने रिवीजन अर्जी स्वीकार कर पुन: सुनवाई का आदेश दिया। इस आदेश के बाद अवर न्यायालय ने सुनवाई के बाद 04 अगस्त 2025 को केस दर्ज कर जांच का आदेश जारी किया।

22 जनवरी 2023 को पूर्व एमएलसी एवं सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक इंटरव्यू में श्री रामचरित मानस पर आपत्तिजनक बयान दिया। न्यूज चैनल पर डिबेट में श्रीरामचरित मानस को बकवास बताया था। इस पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। स्वामी प्रसाद मौर्य पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रथम कार्यकाल में प्रदेश में मंत्री थे। भाजपा से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने सपा की सदस्यता ली थी। बाद में सपा से भी अलग होकर उन्होंने खुद की राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी बनाई है।

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