उत्तर प्रदेश : पुलिस ने गिरफ्तारी और तलाशी नियमों में किया बदलाव

लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस के डीजीपी राजीव कृष्ण ने गिरफ्तारी और तलाशी की प्रक्रिया को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के विभिन्न आदेशों के अनुपालन और सीबीआई और ईडी के मेमो का विश्लेषण करने के बाद डीजीपी ने सोमवार को एक विस्तृत परिपत्र जारी किया है। इस आदेश के तहत अब यूपी पुलिस भी गिरफ्तारी और तलाशी की प्रक्रिया सीबीआई और ईडी की तर्ज पर करेगी।

मिल रही जानकारी के मुताबिक, हर गिरफ्तारी के लिए एक जिम्मेदार अधिकारी नामित होगा। गिरफ्तारी का विवरण जिला कंट्रोल रूम में प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा। गिरफ्तारी मेमो में स्थान, समय, कारण, अभियुक्त का बयान, मेडिकल जांच की स्थिति और बरामद सामान का स्पष्ट उल्लेख होगा। गिरफ्तारी के समय दो स्वतंत्र गवाहों के हस्ताक्षर जरूरी होंगे। बरामद वस्तुओं का पूरा ब्यौरा दर्ज किया जाएगा। हर जिले और कमिश्नरेट में नियमों के अनुपालन की निगरानी के लिए एक अधिकारी की नियुक्ति होगी।

डीजीपी राजीव कृष्ण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में गिरफ्तारी मेमो और व्यक्तिगत तलाशी मेमो का प्रारूप भी जारी किया है। इसके लिए एक समिति का गठन कर अदालत के आदेशों का अध्ययन किया गया और रिपोर्ट तैयार करने के बाद यह नई व्यवस्था लागू की गई है। डीजीपी ने परिपत्र में स्पष्ट कहा है कि गिरफ्तारी के समय किसी भी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संवैधानिक अधिकार प्रभावित होता है, इसलिए कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन अनिवार्य है। बिना कानूनी प्रक्रिया के किसी भी नागरिक के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है।

इस आदेश में भारतीय नागरिक न्याय संहिता 2023 के नियम 6 का हवाला दिया गया है। इसके तहत उपनिरीक्षक या उससे उच्च पद का अधिकारी थानों और जिला कंट्रोल रूम में गिरफ्तार व्यक्तियों की पूरी जानकारी दर्ज करेगा। गिरफ्तारी मेमो में नामित अधिकारी को सूचना देने के लिए एक कॉलम भी बनाया गया है, जिसे भरना अनिवार्य होगा।

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