रिंग ऑफ फायर में आते हैं दुनिया के 90% भूकंप

नई दिल्‍ली। रूस के सुदूर पूर्व में बुधवार की तड़के भारतीय समयानुसार सुबह 4:54 बजे 8.8 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप आए। यह भूकंप मार्च 2011 के बाद दुनिया में आया सबसे शक्तिशाली भूकंप प्रतीत होता है। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के मुताबिक भूकंप का केंद्र समंदर में 20.7 किलोमीटर की गहराई पर था। भूकंप का केंद्र कमचटका प्रायद्वीप में पेट्रोपावलोव्स्क से करीब 136 किलोमीटर पूर्व में था। इस भूकंप के कारण जापान, अमेरिका के हवाई और प्रशांत महासागर में भी सुनामी की लहरें उठीं हैं।

हालांकि, सुनामी के कारण अभी तक कोई बड़ा नुकसान होने की खबर नहीं है, लेकिन अधिकारियों ने लोगों को तटरेखाओं से दूर रहने की चेतावनी देते हुए कहा है कि खतरा एक दिन से अधिक समय तक रह सकता है। रूस में कामचटका प्रायद्वीप पर भूकंप के केंद्र के पास स्थित बंदरगाहों में पानी भर गया है, जिससे निवासियों को सुरक्षित स्थानों की ओर जाना पड़ा। दूसरी तरफ अमेरिका के हवाई प्रांत की राजधानी में सड़कों और राजमार्गों पर जाम लग गया। यहां तक कि तटरेखा से दूर के इलाकों में भी यातायात ठप हो गया।

जापान के प्रभावित इलाकों में भी लोगों को बचाव केंद्रों में स्थानांतरित किया गया है। इस भूकंप ने 2011 में आए भूकंप और सुनामी की यादें ताजा कर दी। जापान में लगभग 20 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए जाने की सलाह दी गई है। मार्च 2011 में उत्तर-पूर्वी जापान में आए भूकंप की तीव्रता 9.0 मापी गई थी और इसके कारण भीषण सुनामी आई थी। इस सुनामी ने फुकुशिमा दाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र की शीतलन प्रणालियों को निष्क्रिय कर दिया था।

कामचटका में 10 से 13 फुट ऊंची, जापान के उत्तरी द्वीप होक्काइडो में लगभग 2.8 फुट, अलास्का के अल्यूशियन द्वीप समूह में ज्वार के स्तर से 1.4 फुट तक ऊंची लहरें उठीं हैं। इस भूकंप ने दर्जन भर से ज्यादा देशों में सुनामी का खतरा पैदा कर दिया है। इसी वजह से इन देशों के तटीय इलाकों के लोगों में खौफ का माहौल है। दरअसल, ये सभी देश ‘रिंग ऑफ फायर’ पर स्थित हैं, जहां भूकंप और ज्वालामुखी जैसी प्राकृतिक आपदाओं का जोखिम सबसे ज्यादा है।

‘रिंग ऑफ फायर’ एक वलयाकार घेरा है, जो प्रशांत महासागर के तटीय इलाकों को जोड़ता है। इसे प्रशांत रिम या सर्कम-पैसिफिक बेल्ट भी कहा जाता है। यह प्रशांत महासागर के साथ स्थित एक ऐसा क्षेत्र है, जहां अधिकांश सक्रिय ज्वालामुखी और भूकंप रिकॉर्ड किए जाते हैं। यह क्षेत्र कई टेक्टोनिक प्लेट्स, जैसे प्रशांत प्लेट, नाजका प्लेट और फिलीपींस प्लेट के मिलन स्थल पर स्थित है। इन प्लेट्स की गतिविधियों के कारण ही भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं। पृथ्वी के 75% ज्वालामुखी यानी 450 से अधिक ज्वालामुखी रिंग ऑफ फायर के किनारे स्थित हैं। इसके अलावा पृथ्वी के 90% भूकंप इसी क्षेत्र में आते हैं। सबसे अधिक विनाशकारी भूकंप भी इसे क्षेत्र में आते हैं। जापान का माउंट फुजी और इंडोनेशिया का क्रकटोआ ज्वालामुखी भी इसी क्षेत्र में है।

रिंग ऑफ फायर घोड़े के एक नाल की तरह है, जो चिली से शुरू होकर दक्षिण अमेरिका, मध्य अमेरिका, मेक्सिको, अमेरिका के पश्चिमी तट, अलास्का, जापान, फिलीपींस, न्यू गिनी और न्यूजीलैंड तक फैला है। इस क्षेत्र में अक्सर टेक्लोनिक प्लेट्स आपस में टकराती रहती हैं। जब कभी यह टकराव भयंकर या विनाशकारी होता है तो पृथ्वी पर हलचल होती है। समुंदर् के नीचे तली में प्लेटों के टकराने से समुद्र का तल हिल जाता है और उससे सुनामी की लहरें पैदा होती हैं। 30 जुलाई 2025 का कामचटका भूकंप इसी रिंग ऑफ फायर का हिस्सा है, जिसने प्रशांत महासागर और ओखोत्सक सागर में सुनामी का खतरा पैदा किया।

रिंग ऑफ फायर प्रशांत, जुआन डे फूका, कोकोस, भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई, नाज़का, उत्तरी अमेरिकी और फिलीपीन प्लेट्स सहित कई टेक्टोनिक प्लेटों के बीच लगभग 40,000 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। इसकी जद में बोलिविया, चिली, इक्वाडोर, पेरू, कोस्टा रिका, ग्वाटेमाला, मैक्सिको, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, रूस, जापान, फिलीपीन्स, ऑस्ट्रेलिया, पापुआ न्यू गिनी, इंडोनेशिया और न्यूजीलैंड जैसे देश आते हैं। अंटार्कटिका भी रिंग ऑफ फायर के तहत आता है।

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