
नई दिल्ली। बैंकों के कई तरह के चार्ज ग्राहकों की जेब पर भारी पड़ते जा रहे हैं। पिछले पांच-छह सालों में बैंकों ने हर छोटी-बड़ी सेवा पर शुल्क लगाना शुरू कर दिया है। अब तो तुरंत पैसा भेजने-पाने वाली आईएमपीएस सेवा पर भी शुल्क लादा जा रहा है। साथ ही कई तरह के पुराने शुल्क भी बढ़ा दिए गए हैं। वहीं दूसरी ओर, ग्राहकों को मिलने वाली सुविधाएं भी कम होती जा रही हैं।
आज हालत ये है कि बैंक में पासबुक अपडेट कराना हो, अपने हस्ताक्षर सत्यापित करवाने हों, या कोई अन्य छोटी सी भी सेवा लेनी हो, हर चीज के लिए ग्राहकों को शुल्क चुकाना पड़ता है। इसी कड़ी में पिछले मई में बैंकों ने एटीएम से महीने में पांच बार से ज्यादा पैसे निकालने पर भी शुल्क बढ़ा दिया था। अब हर अतिरिक्त निकासी पर 23 रुपये का चार्ज लगता है। इसके अलावा, पहली जुलाई से कुछ खास क्रेडिट कार्ड लेनदेन पर भी नए शुल्क लागू कर दिए गए हैं।
बैंकों ने नकद लेनदेन के नियमों में भी बड़ा बदलाव किया है। अब कई बैंकों में ग्राहक महीने में सिर्फ तीन बार ही बिना शुल्क के शाखा या कैश मशीन (सीआरएम) से नकद जमा या निकासी कर सकते हैं। पहले यह सीमा पांच बार हुआ करती थी। अगर कोई ग्राहक इस सीमा से ज्यादा बार अपने खाते से नकद निकालेगा तो उसे हर बार 150 रुपये का भारी शुल्क देना होगा। साथ ही, अगर कोई एक महीने में एक लाख रुपये से ज्यादा नकद जमा करता है तो उस पर भी 150 रुपये का शुल्क लगेगा।
ग्राहकों को मिलने वाली सुविधाओं में भी कटौती की जा रही है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने अपने क्रेडिट कार्ड्स पर मिलने वाले फायदे घटा दिए हैं। 15 जुलाई से एसबीआई के ‘प्राइम’ और ‘पल्स’ क्रेडिट कार्ड पर मिलने वाला 50 लाख रुपये का मुफ्त हवाई दुर्घटना बीमा भी बंद कर दिया गया है।
एसबीआई ने 15 अगस्त से तुरंत पैसा ट्रांसफर करने वाली आईएमपीएस सेवा पर भी शुल्क लगाने का फैसला किया है। उम्मीद की जा रही है कि दूसरे बैंक भी जल्द ही आईएमपीएस पर शुल्क लगाने की घोषणा कर देंगे। हालांकि कई निजी बैंक पहले से ही ऑनलाइन आईएमपीएस पर शुल्क वसूल रहे हैं, लेकिन एसबीआई के इस कदम के बाद वे भी अपने शुल्क बढ़ा सकते हैं।