
वाराणसी। वाराणसी में पिछले एक हफ्ते से गंगा का पानी दिनोंदिन बढ़ रहा है। इस कारण उसकी सहायक नदी वरुणा भी बढ़ने लगी है। निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घुसते ही पलायन शुरू हो गया। जल पुलिस लगातार निगरानी कर रही है। घाट किनारे मां शीतला का अभिषेक करने के बाद गंगा का जलस्तर 68.95 मीटर पर स्थिर हो गया है। गंगा में ठहराव की जानकारी के बाद तटीय क्षेत्र के लोगों ने राहत की सांस ली है। हालांकि नमो घाट पर बना नमस्ते स्कल्पचर डूब चुका है। इसके ऊपरी फर्श पर पानी आ गया है।
चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर से गंगा का जलस्तर 1.31 मीटर नीचे है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार बुधवार की सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर 68.94 मीटर रिकाॅर्ड किया गया। इस दौरान एक सेमी प्रतिघंटा जलस्तर में बढ़ाव रहा। दिन में दो बजे 68.95 मीटर जलस्तर दर्ज किया गया। शाम छह बजे भी गंगा का जलस्तर 68.95 मीटर रिकार्ड किया गया। इस समय भी गंगा का जलस्तर स्थिर ही रहा। राजघाट पुल के नीचे तेज बहाव और बाढ़ के बीच घाट किनारे मल्लाहों की नाव बंधी हैं। उधर, मणिकर्णिका घाट की छत पर बीते साल 5 अगस्त से शवदाह शुरू हुआ था। उस समय भी गंगा के जलस्तर में बढ़ाव था। जिसके कारण लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही थी। इस बार 10 जुलाई से मणिकर्णिका की छत पर शवदाह शुरू हुआ है।
बाढ़ के चलते बीते साल 9 अगस्त को हरिश्चंद्र घाट की गलियों में शवदाह शुरू हो गया था। इसे लेकर लोगों को काफी दिक्कतें झेलनी पड़ रही थी। इस बार 14 जुलाई से गलियों में शवदाह शुरू हुआ है। इसके चलते शवयात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। गंगा में आई बाढ़ के कारण दशाश्वमेध और अस्सी घाट पर बीते साल 6 अगस्त को आरती का स्थल बदला था। उस समय अस्सी का बनारस का मंच डूब गया था। इस बार 11 जुलाई को आरती का स्थल बदला गया है। जलस्तर बढ़ने के कारण आरती का स्थल बदला जाता है।
बाढ़ के चलते वरुणा का जलस्तर काफी बढ़ गया है। दीनदयालपुर क्षेत्र में बाढ़ का संकट गहराता जा रहा है। यहां के कई मकानों में पानी घुसने से लोग घर खाली कर किराये के मकानों में शरण लेने को मजबूर हो गए। लोगों का कहना है कि प्रशासनिक मदद अब तक नहीं पहुंची है। जिससे प्रभावित लोग परेशान हैं। दीनदयालपुर में रहने वाले सोभनाथ, नंदलाल, दाढ़ी, मुन्ना सहित कई लोगों के मकान पूरी तरह से बाढ़ के पानी से घिर गए हैं।
सारनाथ के पुरानेपुल क्षेत्र में बाढ़ का पानी घरों में घुस गया। अपने सामान के साथ लोग घरों से ऊंचे स्थलों पर शरण लेने को मजबूर हैं। लोगों का कहना है कि अब तक यहां पर कोई सरकारी सहायता मुहैया नहीं कराई गई। उधर, सामनेघाट ज्ञानप्रवाह पर लगे गेट से मोटर के सहारे पानी निकाला जा रहा है।