
मुंबई। बॉलीवुड एक्टर आर माधवन इन दिनों अपनी नई फिल्म ‘आप जैसा कोई’ को लेकर खबरों में बने हुए हैं। इस फिल्म में एक्टर फातिमा सना शेख के साथ नजर आने वाले हैं। यह फिल्म मिसॉजिनिस्ट, रिश्तों और समाज में मौजूद टॉक्सिक सोच जैसे गंभीर मुद्दे के बारे में बात करती है। अब हाल में दिए एक इंटरव्यू में आर माधवन ने अपनी फिल्म ‘रहना है तेरे दिल में’ के किरदार और फिल्म इंडस्ट्री के टॉक्सिक मेल कैरेक्टर्स पर बात की। एक्टर ने बताया पिछले समय में हमारी संस्कृति में ही कमी रही है। वो पिछला समय ही हिंदी फिल्मों में दिखाया गया है।
माधवन की फिल्म ‘रहना है तेरे दिल में’ आज भी कल्ट क्लासिक मानी जाती है, लेकिन बीते कुछ सालों में इस फिल्म के लीड किरदार को भी मिसोजिनी दिखाने के आरोपों का सामना करना पड़ा है।
दरअसल, इस फिल्म में लीड हीरो मैडी, रीना नाम की लड़की के पीछे पड़ा होता है। ये लीड किरदार माधवन ने ही निभाया था। जब ये सवाल माधवन से किया गया तो उन्होंने इसका बचाव करते हुए कहा, “अगर आप किसी भी हिंदी फिल्म या फिल्मी हीरो को पीछे जाकर देखेंगे, तो पाएंगे कि वह पूरी तरह निर्दोष नहीं है। क्योंकि हमारी संस्कृति को जिस तरह फिल्मों में दिखाया गया है, उसमें ही खामी रही है। ऐसा कोई भी एक्टर नहीं है जिसने ऐसी फिल्म न की हो जिसमें टॉक्सिक मिसॉजिनिस्ट न हो। आप सिर्फ ‘रहना है तेरे दिल में’ की बात मत कीजिए, उससे पहले की कोई भी फिल्म उठा लीजिए।
माधवन ने आगे कहा,“हर हीरो ने किसी न किसी फिल्म में महिला को थप्पड़ मारा है या उसे गाली दी है। अगर आप इस नजरिए से पीछे मुड़कर देखेंगे तो आप उलझ जाएंगे। हमें ये समझना होगा कि वो किरदार किस हालात में था, किस परिस्थिति में वह प्यार में पड़ा।” उन्होंने पुराने समय की बातें भी याद दिलाईं, जब न तो मोबाइल फोन थे और न ही मिलने-जुलने के आज जैसे मौके। उस दौर में गांवों या कस्बों में मेलों, शादियों या ट्रेन में ही किसी को देखकर पसंद करना और फिर बातचीत की कोशिश करना आम बात थी।
माधवन ने सवाल उठाते हुए कहा, “अगर कोई लड़का ट्रेन में किसी लड़की को देखकर उससे बात करना चाहता है और उसकी नीयत साफ है, तो वो कैसे कदम उठाए? अगर वो लड़की का दिया हुआ कोई खत रख ले, तो उसे ‘क्रिपी’ क्यों कहा जाता है?” माधवन का यह बयान आज के दौर में सोशल मीडिया पर फिल्मों की क्रिटिक्स के बदलते तरीके और पुराने किरदारों को आज के नजरिए से देखने को भी एक नई सोच के साथ देखने का मौका देता है। उन्होंने यह भी साफ किया कि वह गलत को सही नहीं ठहरा रहे, लेकिन किसी भी कहानी और किरदार को उसके समय और हालात के अनुसार देखना जरूरी है।