
नई दिल्ली। सरकार ने जीएसटी खुफिया निदेशालयद्वारा जारी नोटिसों से संबंधित निर्णयों को चुनौती देने के लिए नई व्यवस्था लागू की है। इसके तहत ऐसे नोटिस से जुड़े फैसलों की जांच, बदलाव या अपील सुनने की जिम्मेदारी विशेष रैंक के वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई है। इससे कारोबारियों को अब यह भ्रम नहीं रहेगा कि अपील के लिए किस अधिकारी के पास जाना है। यह कदम अनिश्चितता को दूर करने और जीएसटी प्रणाली में सुधार लाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने इस संबंध में नया आदेश जारी कर दिया है। इसके तहत स्पष्ट किया गया है कि डीजीजीआई द्वारा जारी नोटिसों पर विभागीय फैसलों के खिलाफ अपील और समीक्षा किन अधिकारियों के पास की जाएगी।
पहले जीएसटी जांच के बाद जब डीजीजीआई नोटिस भेजता था, तो उस पर कंपनियों या कारोबारियों का जवाब मिलने के बाद जो अधिकारी फैसला लेते थे, उन्हें साझा निपटान प्राधिकार कहा जाता था, लेकिन उनके फैसले के बाद अपील किस अधिकारी के पास की जाए, इसको लेकर साफ व्यवस्था नहीं थी। इससे विलंब और उलझन होती थी। अब सीबीआईसी ने साफ किया है कि अपील पर सुनवाई या फैसले की समीक्षा उनसे ऊपर के नामित विशेष वरिष्ठ अधिकारी ही करेंगे।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस नए नियम से कानूनी स्पष्टता आएगी और नियमों का पालन आसान होगा। इससे जीएसटी में मुकदमों का बोझ कम होगा। यह आदेश साफ करता है कि शिकायत और जांच की प्रक्रिया कैसे चलेगी। इससे करदाताओं को यह समझ आएगा कि अपील कहां करनी है और यह उनके इलाके के अधिकारी से जुड़ा होगा, जिससे सबकुछ आसान होगा। यह बदलाव बैंकिंग, बीमा, ऑनलाइन गेमिंग, होटल, रियल एस्टेट, रोजमर्रा के सामान, फैक्ट्री और ढुलाई जैसे क्षेत्रों में बड़ा असर डालेगा।
गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते हुई बैठक में सीबीआईसी को कर चोरी और गलत कर क्रेडिट दावों से निपटने पर ध्यान केंद्रित करते हुए कारोबारियों की शिकायतों को तुरंत हल करने के लिए भी कहा। साथ ही रिफंड जल्दी देने और जीएसटी पंजीकरण आसान करने का निर्देश भी दिया था।