यूपी में एससी एसटी एक्ट में झूठे मुकदमे हो रहे दर्ज

लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश में एससी-एसटी एक्ट के तहत झूठे मुकदमे दर्ज कराने वालों की संख्‍या बढ़ती जा रही है। पिछले कुछ दिनों के भीतर विशेष न्यायालय ने कई मामलों में कड़ी कार्रवाई की है। लखनऊ में विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने चार मामलों में झूठे केस दर्ज कराने वालों को सजा और जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने अलग-अलग मामलों में आरोपियों को 5 से 10 साल तक की कैद और भारी जुर्माने की सजा सुनाई है। इससे झूठे केस दर्ज कराने वालों को एक कड़ा संदेश मिला है।

पहला मामला सहदेव से जुड़ा है। सहदेव ने कोर्ट के जरिये 12 अप्रैल 2024 को गाजीपुर थाने में सत्यनारायण और उनके बेटे संजय के खिलाफ 16 दिसंबर 2023 को बीस हजार रुपये और मोबाइल फोन लूटने के अलावा एससी एसटी एक्ट की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। विवेचना में केस गलत पाया गया। लिहाजा, पुलिस ने रिपोर्ट कोर्ट को भेज दी। इस मामले में सुनवाई के बाद कोर्ट ने सहदेव को दो अप्रैल को झूठा मुकदमा दर्ज कराने पर सात साल की कैद और दो लाख एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी।

दूसरा केस रमेश रावत से संबंधित है। रमेश रावत का अरुण, इरफान अली, मोहम्मद जिशान और रिजवान से रुपयों का लेनदेन था। रमेश ने अनुसूचित जाति का सदस्य होने का फायदा उठाने के लिए चारों के खिलाफ वर्ष 2022 में चिनहट थाने में एससी-एसटी एक्ट के साथ ही मारपीट की रिपोर्ट दर्ज करा दी। विवेचना में केस झूठा पाया गया था। विवेचक ने छह दिसंबर, 2022 को रमेश के मुकदमे में जुर्म को खारिज करने वाली अंतिम रिपोर्ट लगा दी। कोर्ट ने रमेश रावत के खिलाफ सुनवाई करके उसे आठ मई को पांच साल की कैद और 50 हजार के जुर्माने से दंडित किया।

तीसरा केस लाखन सिंह का है। लाखन सिंह का सुनील दुबे से पांच बीघे जमीन के लिए विवाद चल रहा था। लाखन सिंह ने 15 फरवरी 2014 को कोर्ट के जरिये सुनील दुबे और उसके अन्य साथियों के खिलाफ विकासनगर थाने में हत्या का प्रयास, जानमाल की धमकी, तोड़फोड़, गाली गलौज व एससी एसटी एक्ट की रिपोर्ट दर्ज करा दी। विवेचना में केस झूठा पाया गया। लिहाजा विवेचक ने लाखन सिंह के मुकदमे में अंतिम रिपोर्ट लगा दी और केस चलाने की मांग की। कोर्ट ने 16 मई को लाखन सिंह को 10 साल की कैद और दो लाख 51 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।

चौथा मामला बाराबंकी की रेखा देवी से जुड़ा है। बाराबंकी के जैदपुर की रहने वाली रेखा देवी ने थाना जैदपुर में 29 जून 2021 को राजेश और भूपेंद्र के खिलाफ जानमाल की धमकी, सामूहिक दुष्कर्म और एससी एसटी एक्ट की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। घटनास्थल के आधार पर विवेचना बीकेटी स्थानांतरित हो गई। विवेचना में आरोप गलत पाए गए। इसके बाद विवेचक ने रेखा के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए कोर्ट से मांग की। इसपर कोर्ट ने 16 जून को रेखा देवी को सात साल छह माह की कैद और दो लाख एक हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया। इन मामलों में कोर्ट के फैसले से यह स्पष्ट होता है कि एससी-एसटी एक्ट का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह निर्णय झूठे मुकदमे दर्ज कराने वालों के लिए एक चेतावनी है।

In Germany, at least, literary journalism is seen to be a fact-based narrative and in the former-GDR, the truth is best left unspoken.

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