नई जनगणना में आर्थिक सामाजिक विकास का भी आकलन होगा

लखनऊ। नई जनगणना की पूरी बहस और दिशा जातिगत आंकड़ों पर टिक गई है, लेकिन, हकीकत में यह देश के आर्थिक-सामाजिक विकास का पैमाना भी नापेगी। हाउस और हाउस लिस्टिंग सर्वे के शेड्यूल में कुछ नए सवाल भी जोड़े गए हैं। मसलन, घर-घर जाकर जनगणना कर्मी यह भी पूछेंगे कि चावल, गेहूं, ज्वार, बाजरा व मक्का में कौन-सा अनाज आप ज्यादा खाते हैं?

देश-प्रदेश में लगभग डेढ़ दशक बाद जनगणना होने जा रही है। इस दौरान जीवन स्तर, सुविधाओं एवं संसाधनों का स्वरूप बदला है। कई योजनाओं का प्रभाव इन सवालों के जरिए परखा जाएगा। यह भी जानने की कोशिश की जाएगी कि कितने लोग पीने के लिए पैकेज्ड वॉटर या बोतलबंद पानी का बहुतायत उपयोग करते हैं।

किचन या किचन न होने दोनों ही स्थिति में एलपीजी/पीएनजी कनेक्शन होने या न होने का भी सवाल पूछा जाएगा। कनेक्शन के बाद भी कुकिंग के लिए किस ईंधन का इस्तेमाल किया जा रहा, इसका भी विवरण दर्ज होगा। इसमें सोलर को भी पहली बार जोड़ा गया है। टीवी, रेडियो जैसी सुविधाओं की गिनती पहले भी होती थी, इस बार भी जाना जाएगा कि कितने घरों में फ्री डिश, डीटीएच या अन्य केबल कनेक्शन है।

पहली बार एसिड अटैक विक्टिम की अलग से गणना होगी। इसके साथ ही क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल डिजीज, ब्लड डिसऑर्डर के चलते प्रभावित लोगों की अलग से गिनती की जाएगी। इसी तरह विस्थापित लोगों की जनगणना और उसके कारणों में पहली बार प्राकृतिक आपदा को भी जगह दी गई है। यह इसलिए भी अहम है कि जनगणना कोविड की आपदा के बाद हो रही है जिसमें बड़े पैमाने पर लोगों के विस्थापन की आशंका व्यक्त की गई थी।

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