
नई दिल्ली। भारत में अब बिजली गिरने से होने वाली मौतों को कम किया जा सकेगा। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा सिस्टम बनाया है, जो बिजली गिरने से 3 घंटे पहले ही चेतावनी दे देगा। इस सिस्टम से किसानों और खुले में काम करने वाले लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थान पर जाने का मौका मिल जाएगा। नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर के वैज्ञानिकों ने भारत के एनसेट-3 डी सैटेलाइट का इस्तेमाल करके यह सिस्टम बनाया है।
यह सैटेलाइट 36,000 किलोमीटर ऊपर से ही वातावरण में होने वाले बदलावों को भांप लेता है। इससे आउटगोइंग लांगवेव रेडिएशन (ह्ररुक्र), यानी पृथ्वी से अंतरिक्ष में जाने वाली गर्मी की ऊर्जा में होने वाले बदलावों को मापकर बिजली गिरने की संभावना का पता चल जाता है। पहले के सिस्टम सिर्फ 30 मिनट पहले ही चेतावनी देते थे, लेकिन यह नया सिस्टम ज्यादा समय देगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस सिस्टम की सटीकता 75 फीसदी से 85 फीसदी तक है।
दरअसल, आसमान के संकेतों को पढ़ने का रहस्य आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडियेशन (OLR) में छिपा है। यह मूल रूप से गर्मी की ऊर्जा है, जो पृथ्वी वापस अंतरिक्ष में भेजती है। NRSC के वैज्ञानिकों ने भारत के Insat-3D सैटेलाइट का इस्तेमाल करके पता लगाया है कि बिजली गिरने से पहले इस विकिरण में बहुत बदलाव होता है।
टीम का तरीका तीन सैटेलाइट मापों को जोड़ता है। जमीन की सतह का तापमान (LST) यानी जमीन कितनी गर्म है। बादलों की गति (CMV) यानी बादल कैसे चल रहे हैं और बदल रहे हैं और OLR. इन सभी चीजों का विश्लेषण करके, वैज्ञानिकों ने एक ‘कंपोजिट इंडिकेटर’ बनाया है, जो बिजली गिरने से करीब 3 घंटे पहले बड़े बदलाव दिखाता है। इससे कमजोर समुदायों तक चेतावनी पहुंचाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।