क्र‍िम‍िनल जस्‍ट‍िस : रोमांच से भरपूर मर्डर मिस्ट्री  

मुंबई। कोर्ट-कचहरी से यूं तो आम आदमी दूर ही रहना पसंद करता है, मगर इंसाफ के इस गलियारे की कहानियां अगर ढंग से कही जाए, तो लोग बड़े चाव से देखते-सुनते हैं। यही वजह है कि लीगल सिस्टम पर आधारित ‘इलीगल’, ‘मामला लीगल है’, ‘गिल्टी माइंड्स’ जैसी वेब सीरीज काफी पसंद की गई। लेकिन इन सबमें बाजी मारी ‘क्रिमिनल जस्टिस’ ने। पंकज त्रिपाठी स्टारर यह कोर्टरूम ड्रामा उन चंद कामयाब शोज में से है, जो चौथे सीजन तक पहुंचा है। इससे पहले यह कमाल सिर्फ ‘गुल्लक’ ही कर पाई है। अब अपने चौथे सीजन ‘क्रिमिनल जस्टिस: ए फैमिली मैटर’ में भी वकील माधव मिश्रा (पंकज त्रिपाठी) एक ऐसा जटिल हाई प्रोफाइल केस लड़ते हैं, जो ना केवल अंत तक बांधे रखता है, बल्कि इमोशनल भी करता है।

कहानी एक नामी सर्जन डॉक्टर राज नागपाल (मोहम्मद जीशान अय्यूब) और उनके परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है। राज अपनी पत्नी अंजू (सुरवीन चावला) से अलग हो चुके हैं, मगर दोनों आमने-सामने के ही फ्लैट में रहते हैं और अपनी बेटी इरा की को-पैरंटिंग करते हैं। इरा को एस्पर्गर्स सिंड्रोम है, इसलिए नर्स रोशनी (आशा नेगी) उसकी देखभाल करती है। इस दौरान रोशनी और राज भी एक-दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं, मगर एक दिन रोशनी का मर्डर हो जाता है, जिसका इल्जाम राज पर आता है। वहीं, अंजू को भी राज का साथ देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया जाता है।

राज को बेकसूर साबित करने का जिम्मा मिलता है, बड़े ऑफिस वाले वकील बन माधव मिश्रा (पंकज त्रिपाठी) को, जबकि पब्लिक प्रोसिक्यूटर के रूप में एक बार भी उनके सामने हैं, लेखा अगस्त्या (श्वेता प्रसाद बसु) और अंजू के बचाव में उतरती हैं, उनकी पुरानी विरोधी एडवोकेट मंदिरा माथुर (मीता वशिष्ठ)। तीन दिग्‍गज वकीलों की यह तिकड़ी अपनी-अपनी दलीलों को कब किसको पटखनी देती है? कौन सही-कौन गलत साबित होता है, यह जानने के लिए सीरीज देखनी होगी।

हरमन वडाला, राहुल वेद प्रकाश, वर्षा रामचंद्रन और रिया पुजारी की यह कहानी एक बढ़िया मर्डर मिस्ट्री के मानकों पर बखूबी खरी उतरती है। कहानी में परत दर परत नए खुलासे होते रहते हैं, वहीं सस्पेंस आखिर तक बरकरार रहता है। भले ही यह अनुमान लगाना मुश्किल ना हो कि आखिर में माधव मिश्रा ही जीतेंगे, पर कहानी अंत तक बांधे रखती है। इसमें मर्डर मिस्ट्री के रोमांच के साथ एक बीमार बेटी की परवरिश करते माता-पिता के कई भावुक पल भी हैं। हां, स्क्रीनप्ले शुरू में थोड़ा खींचा हुआ जरूर लगता है। खासकर शुरुआती इन्वेस्टिगेशन और इंस्पेक्टर गौरी के घरेलू पहलुओं वाले सीन, मगर कोर्ट पहुंचने के साथ ही इसमें कसावट आ जाती है।

कुल मिलाकर, रोहन सिप्पी निर्देशित इस चौथे सीजन में वह सब है, जिसके लिए ‘क्रिमिनल जस्टिस’ जानी जाती है। साथ ही, सोने पर सुहागा साबित होते हैं, पंकज त्रिपाठी, सुरवीन चावला, मोहम्मद जीशान अय्यूब, मीता वशिष्ठ, श्वेता प्रसाद बसु जैसे उनके मंझे हुए कलाकार।

पंकज त्रिपाठी ने इस बार भी अपने चिरपरिचित अंदाज में माधव मिश्रा को पर्दे पर जिया है। उनके चुटीले वन लाइनर, मजाक-मजाक में बड़ी बात कहने का अंदाज लुभाता है। मीता वशिष्ठ और श्वेता प्रसाद बसु अपनी सधी अदाकारी से सीरीज को मजबूती देती हैं। मोहम्मद जीशान अय्यूब और आशा नेगी ने भी अपने किरदारों संग न्याय किया है। मगर बाजी मारती हैं, सुरवीन चावला। अंजू के भीतर की उथल-पुथल को उन्होंने जिस तरह पर्दे पर उतारा है, वह असल विनर साबित होती हैं।

तकनीकी रूप से भी सीरीज मजबूत है। डीओपी मर्जी पगड़ीवाला का कैमरा जरूरी टेंशन बनाए रखता है। हां, एडिटर गौरव अग्रवाल शुरुआत के कुछ सीन कम कर सकते थे, लेकिन कुल मिलाकर मर्डर मिस्ट्री थ्रिलर और कोर्ट रूम ड्रामा के शौकीन हैं तो यह सीरीज पसंद आएगी। हालांकि, ‘क्रिमिनल जस्‍ट‍िस 4’ को पूरा देखने के लिए आपको थोड़ा लंबा इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि अभी इसके सिर्फ तीन एपिसोड ही रिलीज किए गए हैं। अब आगे हर हफ्ते एक नया एपिसोड रिलीज किया जाएगा।

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