
नई दिल्ली। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कोई रोल नहीं है। विदेश मामलों की संसदीय समिति की बैठक में विदेश सचिव ने यह बात कही। बैठक में सांसदों ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने को लेकर सवाल पूछे। खासकर, ट्रंप के दावों पर सवाल उठे। ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने दोनों देशों के बीच शांति करवाई है। सांसदों ने पूछा कि सरकार ने ट्रंप को इसका श्रेय क्यों लेने दिया और उनके दावों का खंडन क्यों नहीं किया।
इस पर विवेक मिसरी ने कहा कि ट्रंप ने सोशल मीडिया पर यह बात कही थी। सरकार को आधिकारिक तौर पर कुछ कहने का मौका नहीं मिला। उन्होंने यह भी कहा कि बाद में ट्रंप ने ‘मध्यस्थता’ की बात को बदलकर ‘मदद’ करने की बात कही थी। विदेश मंत्रालय (MEA) ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर किसी और देश को बोलने का हक नहीं है।
पाकिस्तान द्वारा चीनी हथियारों के इस्तेमाल पर पूछे गए सवालों के जवाब में विवेक ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान के नौ एयर बेस को तबाह कर दिया। पाकिस्तान ने हथियार लॉन्च करने के लिए कौन सा प्लेटफॉर्म इस्तेमाल किया, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
बैठक में तुर्की द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करने पर भी सवाल उठे। एक सदस्य ने कहा कि भारत के तुर्की के साथ पुराने संबंध हैं। लेकिन, विवेक मिसरी ने कहा कि तुर्की हमेशा से भारत का समर्थक नहीं रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि संघर्ष के दौरान भारत कूटनीतिक रूप से अकेला नहीं था।
इस बीच, MEA ने सांसदों को बताया कि पाकिस्तान भारत पर आतंकवाद को बढ़ावा देने और पाकिस्तान में गैर-न्यायिक हत्याएं करने के “निराधार आरोप” लगा रहा है। MEA ने कहा, “ये आरोप भारत और पाकिस्तान दोनों को सीमा पार आतंकवाद के शिकार के रूप में दिखाने के लिए लगाए जा रहे हैं, जो कि सच नहीं है। पाकिस्तान का आतंकी ठिकाना होने का रिकॉर्ड ठोस तथ्यों और सबूतों पर आधारित है।”
विवेक ने इस बात से इनकार किया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को भारत के हमले के बारे में बताया था, जैसा कि उनके वीडियो कमेंट से लग रहा है। उन्होंने कहा कि मंत्री ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के पहले चरण के बाद की बात कर रहे थे, जब भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमला किया था।