रेलवे ने टावर लगाने के लिए टेंडर किया जारी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सुरक्षित और दुर्घटनारहित रेलयात्रा की कवायद तेज हो गई है। स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली कवच को बाराबंकी से छपरा तक लगाए जाने की कवायद शुरू हो गई है। अगस्त या सितंबर से इसका काम शुरू हो सकता है। गोरखपुर के रास्ते पूर्वोत्तर रेलवे के इस रूट की लंबाई करीब 438 किमी है। मंजूरी मिलने के बाद पूर्वोत्तर रेलवे ने कवच के लिए अहम टावरों का टेंडर जारी किया है। दो साल में इस रूट को कवच से लैस कर दिया जाएगा। कवच को लेकर रेलवे का दावा है कि इससे ट्रेन हादसों का खतरा काफी हद तक कम हो जाएगा। रेलवे में दुर्घटनाओं, आमतौर पर टक्कर रोकने में इस प्रणाली को अहम माना जा रहा है।

इस खास तकनीक से एक ही ट्रैक पर आगे-पीछे दौड़ने वाली ट्रेनों में टक्कर नहीं होगी। इसे रोकने के लिए जीपीएस, रेडियो फ्रीक्वेंसी का प्रयोग होगा। ट्रेनों के टकराने की स्थिति आने से पहले ही दोनों ट्रेनों में ऑटोमेटिक ब्रेक लगने के साथ ही पांच किलोमीटर के दायरे में मौजूद सभी ट्रेनों का संचालन भी बंद हो जाएगा। ट्रेन हादसों में कमी लाने के लिए दो साल पहले रेलवे ने आरडीएसओ के साथ मिलकर काम शुरू किया था।

इसकी मदद से स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली कवच को विकसित किया गया है। कवच प्रणाली ब्रेक, हॉर्न, थ्रोटल हैंडल आदि की मॉनिटरिंग करती है। लोको पायलट से किसी प्रकार की चूक होने पर कवच पहले ऑडियो-विडियो के माध्यम से अलर्ट करेगा। रेड सिग्नल पार होते ही ट्रेन में अपने आप ब्रेक लग जाएगा।

रेलवे दैनिक यात्रियों को बड़ी सहूलियत देने के लिए लगातार काम कर रहा है। हाल ही में एक्सप्रेस ट्रेनों में जनरल कोच और पैसेंजर ट्रेनों की क्षमता को बढ़ाये जाने का निर्णय लिया गया है। अब डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (डेमू) और मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (मेमू) ट्रेनों के कोच बढ़ाने की प्लानिंग है। पहली बार डेमू और मेमू लोकल ट्रेनों की लंबाई बढ़ाई जाएगी। आठ-आठ कोच की ये ट्रेनें अब जल्द ही 12-12 कोच की होंगी। इसको लेकर बोर्ड ने सहमति जताई है।

गर्मी की छुट्टियों, त्योहारों के समय डेमू ओर मेमू ट्रेनों में भी जबरदस्त भीड़ रहती है। साथ ही इन ट्रेनों में एमएसटी धारकों की भी अच्छी-खासी संख्या रहती है। इसी को देखते हुए पूर्वोत्तर रेलवे ने बोगियों की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया है। एनई रेलवे में 30 मेमू-डेमू ट्रेनें संचालित हैं। डेमू या मेमू के एक कोच में सीटिंग क्षमता 73 होती है, लेकिन छोटी दूरी के यात्रियों के लिए कोच में होल्डर लगे होते हैं, जिससे करीब 60 से 70 यात्री खड़े होकर भी बड़ी आसानी से यात्रा कर सकते हैं।

डेमू ट्रेनें डीजल से चलती हैं। इसमें भी पावर, ड्राइविंग और ट्रेलर कार होते हैं। हालांकि, इसमें जनरेटर का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें हर तीन कोच के बाद एक पावर कार होता है। यह ट्रेनें लंबी दूरी तय नहीं करती हैं। दोनों तरफ ड्राविंग कैब होने से राउंड अप टाइम कम होता है। वहीं मेमू ट्रेनें 200 से अधिक किलोमीटर की दूरी को कवर करती हैं। हालांकि, इसमें टॉइलेट नहीं होते हैं। मेमू ट्रेनों में हर चार कोच के बाद एक पावर कार होता है। इनकी मदद से ट्रैक्शन मोटर चलती है।

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