एलओसी पर लगातार फायरिंग कर रही पाकिस्तानी सेना

श्रीनगर। भारतीय बलों ने जब 6-7 मई की रात को जब आतंक के ठिकानों को निशाना बनाया तो उसके बाद पाकिस्तानी सेना ने LoC पर फायरिंग शुरू कर दी। 788 किलोमीटर लंबी LoC पर ज्यादातर जगहों पर पाकिस्तान ने आर्टिलरी फायरिंग की। इसमें पुंछ, तंगधार समेत LoC से सटे दूसरे गांवों में 18 नागरिकों की जान गई। इनमें चार बच्चे भी शामिल हैं। भारतीय सेना ने भी पाकिस्तान को आर्टिलरी फायर से जवाब दिया है।

सुबह करीब 4 बजे तक लगातार आर्टिलरी फायर होते रहे। उसके बाद भी रह-रहकर फायरिंग जारी रही। भारतीय सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। सीमा के पास रह रहे लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर शिफ्ट किया जा रहा है। पुंछ जिले में अधिकारियों ने लोगों के लिए 9 शेल्टर बनाए हैं। यहां लोगों के लिए रहने, खाने और मेडिकल मदद की सभी सर्विस को मुहैया कराया जाएगा।

यह गोलाबारी पूरे सीमावर्ती क्षेत्र में रात करीब दो बजे शुरू हुई, जिससे दर्जनों आवासीय मकान क्षतिग्रस्त हो गए और विस्फोटों की तेज आवाज सुनकर जाग चुके लोगों को छिपने के लिए भागना पड़ा। मौके पर स्थिति की निगरानी कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान की ओर से भारी तोपखाने और मोर्टार का इस्तेमाल किया गया, जिसमें मनकोट, मेंढर, ठंडी कस्सी और पुंछ शहर के दर्जनों अग्रिम गांवों और घनी आबादी वाले नागरिक इलाकों को निशाना बनाया गया।

अंधाधुंध गोलाबारी के चलते कई मकानों को नुकसान पहुंचा, वाहन जल गए, दुकानें क्षतिग्रस्त हो गईं और सड़कों पर खून व मलबा बिखर गया। पुंछ का ऐतिहासिक किला और कई प्राचीन मंदिर भी क्षतिग्रस्त हो गए। एक अधिकारी ने कहा, “निहत्थे नागरिकों को निशाना बनाना कोई वीरता नहीं, बल्कि यह पाकिस्तान की कायरता है।”

पुंछ शहर के निवासियों ने बताया कि रातभर गोलबारी की आवाज से पूरा इलाका दहल गया और लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते रहे। स्थानीय निवासी मोहम्मद जाहिद ने कहा कि यहां युद्ध जैसा माहौल था। घायल लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे और परिवारों को सुरक्षित ठिकानों की तलाश करनी पड़ी। तबाही का मंजर हर तरफ देखा जा सकता था।

धाकी के 150 से अधिक लोग अपने रिश्तेदारों के घरों में शरण लेने को मजबूर हो गए। धाकी में रहने वाले खुर्शीद अहमद ने कहा कि हमें ऐसी स्थिति की कोई उम्मीद नहीं थी। हम भाग्यशाली थे कि गोलाबारी से बच गए और इसलिए, फिलहाल किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाना ही बेहतर था। पुंछ में संयुक्त राष्ट्र केंद्र और वन विभाग की इमारतों के पास भी तोप के गोले गिरे, जिससे दोनों संरचनाओं को भारी नुकसान पहुंचा।

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