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गंगा एक्सप्रेस-वे पर टॉप गियर में नॉनस्टॉप दौड़ेगी कार

लखनऊ। मेरठ से प्रयागराज तक बन रहे गंगा एक्सप्रेस-वे को वर्ल्ड क्लास बनाने के लिए स्विस बेस्ड अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख की ईटीएच यूनिवर्सिटी और आरटीडीटी लैबोरेट्रीज एजी के साथ हुए करार के तहत आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई)और सेंसर-आधारित तकनीक से रोड की गुणवत्ता और कंफर्ट की जांच की जा रही है। यह तकनीक निर्माण के दौरान ही खामियों को पकड़ लेगी, जिससे तुरंत सुधार किया जा सकेगा।

594 किलोमीटर लंबा गंगा एक्सप्रेस-वे मेरठ से प्रयागराज तक 12 जिलों को जोड़ेगा और भविष्य में इसे बलिया तक विस्तारित किया जाएगा। इस एक्सप्रेस-वे को चार पैकेज में बनाया जा रहा है, जिसमें पहले पैकेज का निर्माण आईआरबी इंफ्रा कर रही है। वहीं, बाकी के तीन पैकेज का निर्माण अदाणी इंटरप्राइजेज द्वारा किया जा रहा है। यह एक्सप्रेस-वे नवंबर, 2025 तक शुरू हो जाएगा।

उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण(यूपीडा) के एसीईओ श्रीहरि प्रताप शाही ने बताया कि गंगा एक्सप्रेस-वे की राइडिंग क्वॉलिटी और कंफर्ट को सुनिश्चित करने के लिए स्विस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इसके तहत वाइब्रेशन टेक्नॉलजी और 7 एक्सेलेरोमीटर सेंसर (4 क्वॉलिटी और 3 कंफर्ट के लिए) से लैस इनोवा वाहन सभी 6 लेन की जांच कर रहा है। यह वाहन रोड की सरफेस, कंफर्ट लेवल और उतार-चढ़ाव का डेटा इकट्ठा करते हैं, जिसे ऑनलाइन ग्राफ के रूप में देखा जा सकता है।

सेंसर आधारित डिवाइस और डेटा कलेक्शन उपकरण रोड की गुणवत्ता का रियल टाइम विश्लेषण करते हैं। इस तकनीक से तुरंत पता चल जाता है कि सड़क का कौन-सा हिस्सा मानकों पर खरा नहीं है। निर्माण के दौरान ही इन कमियों को सुधारने से बाद में मेंटनेंस की लागत और चुनौतियां कम होंगी।

पहले सड़क निर्माण के बाद क्वॉलिटी की जांच होती थी, जिससे मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट को ठीक करना मुश्किल होता था। गंगा एक्सप्रेस-वे पर स्विस तकनीक के जरिए निर्माण के दौरान ही रोड की क्वॉलिटी की निगरानी हो रही है। सेंसर रोड के उतार-चढ़ाव और कंफर्ट लेवल को मापते हैं और जहां जरूरत होती है, वहां तुरंत सुधार किया जाता है। यह तकनीक समय और संसाधनों की बचत करती है।

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