
मुंबई। अपने बेबाक विचारों के लिए जाने जानेवाले फेमस डायरेक्टर अनुराग कश्यप एक बार फिर चर्चा में हैं। एक बार फिर उनका पारा चढ़ गया है। पिछली बार ‘फुले’ फिल्म को लेकर अपने ब्राह्मणों वाले विवादित बयान के बाद अब वह सिनेमाघरों में नशा और तंबाकू की चेतावनी वाले विज्ञापन पर भड़क गए हैं। फिल्ममेकर का कहना है कि ऐसे वॉर्निंग और विजुअल दर्शकों को डिस्टर्ब करते हैं। फिल्म देखने जाने वाले लोगों का मूड खराब हो जाता है।
सिनेमाघरों में सिनर्स की स्क्रीनिंग के दौरान दिखाए जानेवाले मेंडेटरी हेल्थ डिस्क्लेमर को लेकर अनुराग कश्यप ने खुलकर बातें कीं। फिल्ममेकर ने कहा कि कैसे ये ऐड दर्शकों को डिस्टर्ब करते हैं। अनुराग ने जोर देकर कहा कि यह अनजाने में ही दर्शकों के मूड को खराब कर देता है, जो उस पल में डूबे हुए होते हैं जिसे फिल्ममेकर ने इतवी मेहनत और सावधानीपूर्वक तैयार किया है।
इंडीवायर’ से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘सिनर्स जैसी मूड पीस में, धूम्रपान और शराब पीने जैसे डिस्क्लेमर दर्शकों को उस गहरे अनुभवों से दूर कर देते हैं जिसे फिल्ममेकर ने बड़ी मेहनत से बनाया था, जिससे मूड और बिल्ड-अप प्रॉसेस खत्म हो जाती है।’ अनुराग ने बताया कि कैसे उन्होंने साल 2013 में आई अपनी फिल्म ‘अग्ली’ में इन डिस्क्लेमर को बनाए रखने के लिए सेंसर बोर्ड पर मुकदमा दायर किया था। उन्होंने कहा, ‘मैंने तर्क दिया कि यह कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए एक बुनियादी खतरा था।
मामला लंबा खिंच गया और आखिरकार, हमें लड़ाई छोड़नी पड़ी और हमारी फिल्म के पायरेटेड होने के बाद इसे रिलीज़ करना पड़ा। एक फिल्ममेकर दर्शकों के लिए कुछ ऐसा बनाने के लिए दृश्य, संगीत और बारीकियों का इस्तेमाल करता है जिसमें वे डूब जाएं। और इससे पहले कि वे उस दुनिया में खुद को महसूस कर पाएं, एक झकझोर देने वाला ऐड सारे अनुभवों को बर्बाद पर पानी फेर देता है।’ अनुराग कश्यप मे आगे कहा कि इस प्रॉब्लम के खिलाफ कुछ विरोध के बावजूद, कुछ भी नहीं बदलता, क्योंकि लॉ मेकर्स कला की खूबसूरती की परवाह नहीं करते।