
हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया मनाई जाती है| इस साल अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को है। यह दिन बहुत शुभ माना जाता है। लोग इस दिन सोना-चांदी और दूसरी चीजें खरीदते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन खरीदी गई चीजें कभी खत्म नहीं होतीं। इसके साथ ही इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने का भी विधान है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि माता लक्ष्मी की पूजा करने के साथ धन कुबेर की पूजा करने पर ही अक्षय तृतीया का पूरा लाभ मिलता है।
अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा का खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन इनकी पूजा करने से घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। कुबेर को धन का देवता माना जाता है इसलिए अक्षय तृतीया पर उनकी पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण है। मां लक्ष्मी धन देती हैं, लेकिन उनका स्वभाव चंचल होता है। इसका मतलब है कि वह एक जगह पर ज्यादा समय तक नहीं टिकती हैं. वहीं, कुबेर देव धन को जमा करके रखते हैं। उन्हें देवताओं में धन-संपदा का खजांची माना जाता है।
अक्षय तृतीया के दिन भगवान कुबेर को अलकापुरी राज्य का राजा बनाया गया था। उन्हें स्वर्ग के खजाने की जिम्मेदारी भी दी गई थी इसलिए, अक्षय तृतीया पर कुबेर और लक्ष्मी की पूजा करने से धन मिलता है और बचत होती है। कहा जाता है कि कुबेर ने कई सालों तक भगवान शिव की तपस्या की। इससे प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें यक्षों का राज्य दिया। साथ ही, उन्हें धन का स्वामी होने का आशीर्वाद भी दिया. इसलिए, यह दिन कुबेर देव और मां लक्ष्मी दोनों की पूजा की जाती है।
धन के देवता कुबेर को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा पूरे विधि-विधान के साथ करना बहुत जरूरी है। सबसे पहले पूजा की जगह को साफ करें। फिर कुबेर यंत्र स्थापित करें। यंत्र पर पीला चावल, सिंदूर और हल्दी चढ़ाएं। हाथ में फूल लेकर कुबेर भगवान की पूजा शुरू करने का संकल्प लें। कुबेर मंत्र का कम से कम एक माला जाप करें। ऐसा करने से कुबेर देव जल्दी प्रसन्न होते हैं।
धनतेरस पर उत्तर दिशा में कुछ खास काम करने से धन और समृद्धि मिलती है। उत्तर दिशा को कुबेर की दिशा मानते हैं।अक्षय तृतीया पर तांबे या चांदी के कलश में पानी भरकर उसमें नारियल रखकर उत्तर दिशा में रखने से धन मिलता है। साथ ही, उत्तर दिशा को हरे रंग से रंगना या हरे रंग का पिरामिड रखना भी अच्छा माना जाता है।