
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने दिल्ली में पार्टी की एक अहम बैठक की अध्यक्षता की। इसमें पश्चिम भारत के महाराष्ट्र, गुजरात तथा दक्षिण भारत के कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल राज्यों में संगठन के विस्तार, मजबूती और जनाधार को बढ़ाने की रणनीति पर गहन चर्चा हुई। इस दौरान उन्होंने पार्टी के सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से पूरे तन, मन और धन से पार्टी के कार्यों को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। मायावती ने इस बैठक के जरिए अपने पुराने तेवर में एक बार फिर लौटने के संकेत दिए हैं। इसे वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले काफी अहम माना जा रहा है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को जानकारी साझा करते हुए बताया कि इस बैठक में इन राज्यों की राजनीतिक, सामाजिक परिस्थितियों पर विचार करते हुए, संगठन को जमीनी स्तर पर सशक्त बनाने का संकल्प लिया गया। उन्होंने कहा कि बसपा संविधान की मूल भावना और सामाजिक न्याय के मूल सिद्धांतों पर अडिग रहते हुए हर राज्य में अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करेगी।
यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने इसके साथ ही जनगणना के आधार पर लोकसभा सीटों के एक बार फिर आवंटन, नई शिक्षा नीति और भाषा थोपने जैसे मुद्दों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इन विषयों पर राज्य और केंद्र के बीच बढ़ते टकराव का इस्तेमाल राजनीतिक स्वार्थों के लिए किया जा रहा है, जिससे देश और आम जनता के हित प्रभावित हो रहे हैं।
बसपा सुप्रीमो ने यह भी सवाल उठाया कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग और गरीब तबके के बच्चे अंग्रेज़ी का ज्ञान अर्जित किए बिना आईटी और स्किल्ड सेक्टर में कैसे आगे बढ़ पाएंगे? सरकार को चाहिए कि वह भाषा को लेकर भेदभाव या नफरत न फैलाए। व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाए।मायावती ने कहा कि ‘गुड गवर्नेंस’ वही है जो पूरे देश को संविधान के अनुसार साथ लेकर चले, न कि किसी विशेष भाषा, वर्ग या राज्य के हितों को प्राथमिकता देकर। उन्होंने शिक्षा और भाषाई नीति को समावेशी और समान अवसर देने वाला बनाने की आवश्यकता पर बल दिया है।