कार्डिएक एरिदमिया : हार्ट रिदम डिसऑर्डर

दिल के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर, ब्लॉक आर्टरी से हर साल लाखों जान जा रही है। लेकिन भारत में धड़कन में गड़बड़ी आना भी एक बड़ी समस्या है। अक्सर इस समस्या को नजरअंदाज कर दिया जाता है, जो अचानक हार्ट अटैक का कारण बन सकता है। हार्ट रिदम डिसऑर्डर को कार्डिएक एरिदमिया भी कहते हैं। यह दुनियाभर में दिल की आम समस्या है, जिसमें धड़कन बहुत तेज, बहुत धीमा या अनियमित हो जाती है। धड़कन अनियमित होने से शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन व पोषण भी नहीं मिल पाता है। जिससे दिल ढंग से फंक्शन नहीं कर पाता और हार्ट फेलियर हो सकता है।

भारत में अक्सर कार्डिएक एरिदमिया को नजरअंदाज कर दिया जाता है और इसका इलाज नहीं करवाया जाता। इसकी शुरुआत में तेज धड़कन, चक्कर आना, सांस लेने में तकलीफ या सांस फूलना जैसे लक्षण दिख सकते हैं। भारत में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से सबसे ज्यादा जान जाती हैं। द लैंसेट, मई 2023 के मुताबिक भारत में इसकी मृत्यु दर प्रति 1,00,000 लोगों पर 282 मौतें है, जबकि वैश्विक स्तर पर प्रति 1,00,000 पर 233 मौतें है।

एरिदमिया किसी भी आयु के लोगों को हो सकती है। हाल ही में यूएसवी द्वारा भारत में 1500 व्यक्तियों पर किए गए एक अध्ययन में 22.5% प्रतिभागियों में दिल की धड़कन असामान्य पाई गई। इसमें 15.3% व्यक्तियों की हृदय गति तेज थी (टैचीकार्डिया), 2.3% व्यक्तियों में अनियमित धड़कन (एट्रियल फ़िब्रिलेशन) दिखाई दी, और लगभग 5% व्यक्तियों में अनक्लासिफाइड रीडिंग दिखाई दी।

टैचीकार्डिया और एट्रियल फाइब्रिलेशन जैसी एरिदमिया की स्थितियों में दिल की धड़कन तेज हो जाती हैं, जहां हृदय की गति एक मिनट में 100 से ज़्यादा होती है। टैचीकार्डिया और एट्रियल फाइब्रिलेशन जैसी स्थितियों की जांच का सबसे प्रभावी तरीका इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी (ईसीजी या ईकेजी) है, जो एक सरल और दर्द रहित प्रक्रिया है जिसमें दिल की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को रिकॉर्ड की जाती है।

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