
वॉशिंगटन। खगोल विज्ञान में रूचि रखने वालों के लिए शनिवार यानी 12 अप्रैल का दिन खास होने जा रहा है। शनिवार को आसमान में गुलाबी चांद (पिंक मून) दिखाई देगा, जो कि एक खास घटना है। इसे ‘पिंक मून’ इसलिए कहते हैं क्योंकि इसी समय उत्तरी अमेरिका में फ्लॉक्स सबुलता नाम के गुलाबी फूल खिलते हैं। इसी फूल से इसको ये नाम दिया गया है। इसे पाश्चल मून और माइक्रोमून भी कहते हैं। इसके दिखने से ही ईस्टर की तारीख भी तय होती है। भारत में शनिवार के पिंक मून को देखा जा सकेगा। खुले मैदान या ऊंंचे पहाड़ी जैसे स्थान इसे देखने के लिए सबसे अच्छी जगह हैं।
अप्रैल महीने में दिखने वाले पूरे चांद को पिंक मून कहा जाता है। इसे लाइट स्पेक्ट्रम से समझा जा सकता है। लाइट स्पेक्ट्रम में सात रंग होते हैं- लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, इंडिगो और वायलेट। इसी वजह से कभी-कभी चांद का रंग लाल या नीला दिखाई देता है। पृथ्वी के चारों ओर की हवा प्रकाश के कुछ रंगों को रोककर या फैलाकर चांद के रंग को एक हद तक बदल सकती है। यही इस घटना की वजह बनती है।
पिंक मून एक पूर्णिमा का चांद होता है। यह शनिवार, 12 अप्रैल को अमेरिका में रात 8:22 बजे पर दिखेगा। भारत में यह 13 अप्रैल को सुबह 5:00 बजे से दिखाई देगा। यह पिंक मून एक माइक्रोमून होगा। इसका मतलब है कि चांद पृथ्वी से अपनी सबसे ज्यादा दूरी पर होगा। इस स्थान को अपोजी कहा जाता है। इस वजह से चांद रात में सामान्य से थोड़ा छोटा और धुंधला दिखता है। सुपरमून तब ज्यादा सुर्खियों में आते हैं, जब चांद पृथ्वी के सबसे करीब होता है। इस दौरान वे बड़े और चमकीले दिखाई देते हैं। माइक्रोमून अपनी शांत सुंदरता के लिए जाने जाते हैं।
पिंक मून सूर्यास्त के बाद पूर्व में उगते ही सबसे अच्छा दिखाई देता है। इस समय यह ‘चंद्रमा भ्रम’ के कारण बड़ा दिखाई देता है। इसे हालांकि पिंक मून कहा जाता है लेकिन वायुमंडलीय स्थितियों के कारण रंग कुछ अलग, हल्का नारंगी रंग भी हो जाता है। शनिवार के पिंक मून को पूरे भारत से देखा जा सकता है। एक्सपर्ट का कहना है कि इसे अच्छे से देखने के लिए कम प्रदूषण की जगह का चुनाव करें।
पिंक मून सूर्यास्त के तुरंत बाद उगेगा। इसलिए इसे देखने का सबसे अच्छा समय शाम का माना जाता है। चंद्रमा अपने चरम चरण से लगभग एक दिन पहले और बाद तक पूरा दिखाई देगा। इसके क्रेटर और छाया जैसे विवरणों को देखने के लिए दूरबीन का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।