साइलेंट महामारी है नींद की कमी

नींद की कमी एक साइलेंट महामारी की तरह उभर रही है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित कर रही है। भारत में यह समस्या विशेष रूप से गंभीर है क्योंकि जापान के बाद यह देश दूसरे सबसे अधिक नींद से वंचित देश के रूप में स्थान पाता है। सात से आठ घंटे की नींद की सलाह देने के बावजूद, कई भारतीय कम सो रहे हैं, जिससे उनके फिजिकल, मेंटल और इमोशनल हेल्थ पर बुरा असर पड़ रहा है।

डिजिटल डिस्ट्रैक्शन: बिस्तर पर जाने से पहले ज्यादा स्क्रीन टाइम में से एक है। एक सर्वे से पता चला है कि 87% भारतीय सोने से पहले अपने फोन का उपयोग करते हैं, जिससे उनकी नेचुरल सर्कैडियन रिदम खराब होती है। तनाव और चिंता: काम का तनाव और रोजमर्रा की चिंताएं अक्सर रात में आराम करने में बाधा बनती हैं। यह बिजनेसमैन और प्रोफेशनल के लिए एक बड़ी मानसिक चुनौती है। अनियमित नींद पैटर्न: देर रात तक जागने की आदत, सोने का अनियमित वक्त और दिन में झपकी लेने की आदत खराब नींद बना सकती है। शारीरिक स्थितियां: इंसोम्निया, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया और रेस्टलेस लैग सिंड्रोम जैसी बीमारियां शहर के लोगों में तेजी से बढ़ रही हैं।

शारीरिक स्वास्थ्य: लंबे समय तक नींद की कमी से हार्ट डिजीज, डायबिटीज, मोटापा और इम्युनिटी की कमजोरी का खतरा बढ़ता है। यह हार्मोन संतुलन का कारण बनता है जो भूख और तनाव को प्रभावित करता है। इससे किसी बीमारी से ठीक होने की स्पीड कम हो जाती है और इंफेक्शन से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। मानसिक स्वास्थ्य: नींद की कमी चिंता और डिप्रेशन को बढ़ाती है जबकि याद रखने और निर्णय लेने जैसी क्षमताओं को बाधित करती है। नींद की कमी के कारण होने वाली भावनात्मक अस्थिरता रिश्तों को खराब कर सकती है। सामाजिक प्रभाव: एक अध्ययन में पाया गया कि 56% पुरुषों की तुलना में 67% महिलाओं को दिन के वक्त नींद आती है। इस थकान के कारण काम में बेहतर प्रदर्शन नहीं हो पाता है।

रुटीन बनाएं: सोने और जागने का फिक्स शेड्यूल शरीर की इंटरनल क्लॉक को रेगुलेट करने में मदद करती है। वयस्कों को बेहतर आराम के लिए रात 10-11 बजे के बीच बिस्तर पर लेटने का टारगेट रखना चाहिए।स्क्रीन का समय सीमित करें: सोने से कम से कम एक घंटा पहले स्क्रीन के संपर्क में आना कम करें, इससे दिमाग को आराम करने में मदद मिलती है।स्वस्थ आदतें: दोपहर 2 बजे के बाद कैफीन और सोने के समय से तीन घंटे पहले शराब से बचें।रोज़ाना व्यायाम करें, लेकिन सोने के समय से पहले नहीं।सर्कैडियन रिदम को रीसेट करने के लिए सुबह धूप में निकलें।लगातार समस्याओं से पीड़ित को स्लीप एक्सपर्ट या न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए।अनिद्रा या एपनिया जैसे डिसऑर्डर के इलाज से लाइफ क्वालिटी में काफी सुधार हो सकता है।

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