
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगला विधानसभा चुनाव 2027 में है। राजनीतिक दल अपनी तैयारियों को धार देने में जुट गए हैं। बीजेपी भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जीत की हैट्रिक लगाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। हालांकि कुछ सत्ताधारी पार्टी के विधायकों की नाराजगी ने विपक्षी दलों को बीजेपी और योगी सरकार पर हमला बोलने का मौका दे दिया है। बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर समेत तमाम विधायक ने अपनी ही सरकार को आड़े हाथों ले लिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जैसे ही चुनाव आता है, सीएम योगी के खिलाफ विद्रोह शुरू हो जाता है। लेकिन नतीजे आने के बाद सब शांत हो जाते हैं। ये विद्रोह एक विशेष वर्ग के विधायकों की ओर से किया जाता है।
गाजियाबाद की लोनी सीट से बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर ने इस समय अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। गुर्जर ने पुलिस पर अपनी हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही बस्ती के सुभासपा विधायक दूध राम ने योगी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि इस सरकार में कोई रामराज जैसी व्यवस्था नहीं है। भ्रष्टाचार इतना ज्यादा बढ़ गया है कि जो काम पहले 500 रुपये में होता था वह अब 5000 रुपये में हो रहा है। उधर, थप्पड़ कांड से नाराज लखीमपुर खीरी से बीजेपी विधायक योगेश वर्मा पहले से ही अपनी सरकार से नाराज चल रहे हैं। इसी तरह, हरदोई के बीजेपी विधायक श्याम सुंदर ने भले ही सरकार के खिलाफ नाराजगी ना जताई हो, लेकिन इशारों-इशारों में भरे मंच से अपने दिल की बात कह दी है।
बीजेपी विधायक श्याम सुंदर ने सीएम योगी को दिल्ली भेजने की मांग कर दी है। हालांकि ये कोई पहला मौका नहीं है जब बीजेपी विधायक ही सीएम योगी के लिए चुनौती बन गए हो। वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह बताते हैं कि योगी आदित्यनाथ ने जब से प्रदेश की सत्ता संभाली है, तभी से पार्टी के अंदर और बाहर की कुछ शक्तियां उनके खिलाफ एक्टिव हो गई है। क्योंकि योगी का मुख्यमंत्री बनना कुछ लोगों को रास नहीं आ रहा था। यहीं वजह है कि शुरुआत से ही उनके खिलाफ कोई ना कोई षड्यंत्र रचा जाने लगा था।
योगी सरकार के पहले कार्यकाल में ही 200 से ज्यादा विधायकों के सीएम योगी से नाराज होने की बाते हो रही थीं। इस कारण उन्हें बदलने की चर्चा तभी से होने लगी थी। उस वक्त चर्चा चली थी कि मुख्यमंत्री को बदलने के लिए विधायक ज्ञापन देने राजभवन जा रहे हैं। उसके बाद जब एके शर्मा आए तो उनको लेकर भी तमाम तरह की चर्चाएं चलने लगी थी। इस तरह शुरू से ही सीएम योगी को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं चलती रही हैं।
सुरेश बहादुर सिंह ने बताया कि हाल ही में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के एक कार्यक्रम में एक विधायक ने कहा कि मुख्यमंत्री को दिल्ली चले जाना चाहिए और केशव प्रसाद मौर्य को यूपी की बागडोर सौंप देनी चाहिए। इस तरह योगी सरकार के खिलाफ बोलने वाले विधायक एक समाज या वर्ग विशेष से ही आ रहे हैं। जो संवर्ण नेतृत्व पर निशाना साधने का काम कर रहे हैं। हालांकि वरिष्ठ पत्रकार का यह भी कहना है कि ऐसा लगभग सभी पार्टियों में होता रहा है। क्योंकि लोगों की महत्वाकांक्षा होती है। जो विधायक बनकर आते हैं उन्हें मुख्यमंत्री बना होता है और उन्हें आगे बढ़ना होता है। इसके चलते कई विधायक पार्टी में विद्रोह करते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह ने कहा कि अभी तक जो अलख जगी है, वो सफल नहीं हो सकी है। आगे भी उम्मीद है कि ये अलख सफल नहीं हो पाएगी। क्योंकि कुछ विधायकों को अगर छोड़ दें, तो दोनों बार के अधिकतर विधायक अपने जनाधार पर जीत कर नहीं आए हैं। सभी विधायक बीजेपी के जनाधार की वजह से जीतने में सफल हो गए थे। इसमें से अधिकतर विधायक हिंदू-मुस्लिम वोटरों का बंटवारा होने के कारण चुनाव जीत कर आए थे। इसलिए ये जो सत्ताधारी विधायक मोर्चा खोल रखे हैं, वो आने वाले चुनाव में कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे क्योंकि इनका कोई जनाधार नहीं है। ये लोग पार्टी के जनाधार के बलपर चुनाव जीतते आए हैं।
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