
नई दिल्ली। पंजाब के किसानों ने पुलिस की ओर से प्रदर्शनकारी किसानों को शंभू और खनौरी बॉर्डर से हटाए जाने के विरोध में आम आदमी पार्टी के विधायकों के आवासों के बाहर प्रदर्शन किया। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया। किसानों ने पंजाब पुलिस की ओर से 19 मार्च को की गई कार्रवाई की आलोचना की। पुलिस ने 19 मार्च को किसान नेताओं को उस समय हिरासत में ले लिया था, जब वे चंडीगढ़ में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक करने के बाद वापस आ रहे थे।
प्रदर्शनकारी किसानों की मांग, खासकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी पर चर्चा करने के वास्ते उक्त बैठक का आयोजन किया गया था। जैसे ही किसान मोहाली में दाखिल हुए तो उन्हें भारी अवरोधकों का सामना करना पड़ा और उनके कुछ नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। पुलिस ने शंभू और खनौरी बॉर्डर से प्रदर्शनकारी किसानों और उनके अस्थायी ढांचों को भी हटा दिया। इसके बाद शंभू-अंबाला और संगरूर-जींद राजमार्ग पर वाहनों का आवागमन फिर से शुरू हो गया है। किसान मजदूर संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू ने कहा कि 17 जिलों में सात मंत्रियों और 21 विधायकों के घरों के बाहर प्रदर्शन किया गया।
किसान नेताओं ने भगवंत मान सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि उसने भारतीय जनता पार्टी नीत केंद्र सरकार के साथ मिलीभगत करके शंभू और खनौरी बॉर्डर से किसानों को हटाने का काम किया। केएमएम के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि वे पुलिस की ओर से अस्थायी ढांचों को हटाए जाने के बाद विरोध स्थलों से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और अन्य सामान की चोरी के लिए भी मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसान चाहते हैं कि विरोध स्थल से उनका सामान चुराने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर प्रदर्शन करने वाले कई किसानों ने दावा किया कि ट्रॉलियों सहित उनका सामान गायब है और हो सकता है कि वह चोरी हो गया हो। जालंधर में कुछ किसान पुलिस अधिकारियों से भिड़ गए और मंत्री मोहिंदर भगत की ओर बढ़ने के लिए अवरोधकों को जबरन पार करने की कोशिश की।