
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार ने सरकार को उनके स्मारक के लिए मंजूरी दे दी है। यह स्मारक दिल्ली के राजघाट के पास स्थित राष्ट्रीय स्मृति स्थल परिसर में 900 वर्ग मीटर के भूखंड पर बनाया जाएगा। पिछले हफ्ते, मनमोहन सिंह के परिवार के सदस्यों ने राष्ट्रीय स्मृति स्थल का दौरा किया था। इसके बाद उनकी पत्नी, गुरशरण कौर ने सरकार को औपचारिक रूप से स्वीकृति पत्र भेज दिया। मनमोहन सिंह की बेटियां उपिंदर सिंह और दमयन्ती सिंह अपने पतियों के साथ प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण करने गई थीं।
डॉ. मनमोहन सिंह का निधन पिछले साल दिसंबर में हुआ था। उनके निधन के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कई नेताओं ने सरकार से उनके लिए एक स्मारक बनाने की मांग की थी। इस मांग के जवाब में सरकार ने राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर यह भूखंड आवंटित करने का फैसला किया। यह स्थल पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के स्मारक के पास स्थित है, जिसे भी हाल ही में मंजूरी दी गई थी।
राष्ट्रीय स्मृति स्थल में अब केवल दो ही खाली भूखंड शेष हैं। इस साल जनवरी में एक भूखंड पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के परिवार को दिया गया था, जबकि दूसरा, जो परिसर के मध्य में स्थित है, डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार को प्रस्तावित किया गया था। मनमोहन सिंह की बेटी उपिंदर सिंह ने कहा, “यह भूखंड एक ट्रस्ट को आवंटित किया जाएगा और हम जल्द ही इस ट्रस्ट की स्थापना करेंगे। नियमों के अनुसार, स्मारक निर्माण के लिए हम सरकार से एक बार में अधिकतम 25 लाख रुपये की सहायता राशि प्राप्त कर सकते हैं।”
राष्ट्रीय स्मृति स्थल में नौ समाधि स्थल हैं, जिनका स्थापत्य समान रूप से डिजाइन किया गया है। मनमोहन सिंह के परिवार के अनुसार, जो भूखंड उन्हें आवंटित किया गया है, उसके सामने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की समाधि है, पीछे पूर्व राष्ट्रपति आर. वेंकटरमण की समाधि है, जबकि दोनों तरफ पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह और प्रणब मुखर्जी की समाधियां स्थित हैं।
दिलचस्प बात यह है कि जब 2013 में डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तब केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्मृति स्थल के रूप में एक साझा समाधि स्थल बनाने का निर्णय लिया था। विडंबना यह है कि अब उनके परिवार ने इसी परिसर में उनके स्मारक के लिए सहमति दे दी है। 16 मई 2013 को कैबिनेट द्वारा लिए गए फैसले के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपतियों, उपराष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों के अंतिम संस्कार भी राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर किए जाने थे। हालांकि, इस प्रावधान के बावजूद डॉ. सिंह का अंतिम संस्कार 28 दिसंबर 2024 को यमुना के तट पर स्थित निगमबोध घाट पर किया गया था।
गृह मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “कांग्रेस अध्यक्ष और डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार को सूचित कर दिया गया है कि सरकार स्मारक के लिए भूमि आवंटित करेगी। हालांकि, ट्रस्ट का गठन और भूखंड का आधिकारिक आवंटन होने में समय लगेगा, इसलिए अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर किया गया।” अब परिवार स्मारक निर्माण की प्रक्रिया शुरू करेगा और जल्द ही एक ट्रस्ट बनाकर सरकार से औपचारिक रूप से भूमि का हस्तांतरण लेगा।
यमुना नदी के किनारे बसे राष्ट्रीय स्मृति स्थल में वर्तमान में सात प्रमुख नेताओं के स्मारक मौजूद हैं, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पी. वी. नरसिम्हा राव और चंद्रशेखर शामिल हैं। अब इस सूची में डॉ. मनमोहन सिंह का नाम भी जुड़ने जा रहा है। इसका निर्माण कार्य केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) द्वारा किया जाएगा, जबकि इसका खर्च एक ट्रस्ट द्वारा वहन किया जाएगा, जिसे सिंह के परिवार को गठित करना होगा।
डॉ. मनमोहन सिंह को भारत के आर्थिक सुधारों का जनक माना जाता है। उनके निधन के बाद देश भर में उनकी सादगी और समर्पण की भावना को याद किया गया। इस स्मारक के बनने से उनकी विरासत को सम्मान देने का एक और कदम बढ़ेगा। अधिकारियों के अनुसार, स्मारक का डिजाइन राष्ट्रीय स्मृति परिसर के अन्य स्मारकों के समान होगा, जिसमें काले ग्रेनाइट का एक मंच और उसके चारों ओर बलुआ पत्थर की जालीदार स्क्रीन होगी। हालांकि, अभी इसकी अंतिम रूपरेखा पर परिवार और सरकार के बीच चर्चा जारी है।