दक्षिणी राज्य को नहीं होगा एक भी सीट का नुकसान : शाह

कोयंबटूर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए डिलिमिटेशन (परिसीमन) को लेकर दक्षिणी राज्यों, खासकर तमिलनाडु, की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की। उन्होंने स्पष्ट किया कि परिसीमन प्रक्रिया से तमिलनाडु सहित किसी भी दक्षिणी राज्य को लोकसभा में एक भी सीट का नुकसान नहीं होगा।

अमित शाह ने कहा, “मैं दक्षिण भारत के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपके हितों को ध्यान में रखा है। परिसीमन के बाद प्रो-राटा आधार पर न तो एक भी सीट कम होगी और न ही दक्षिणी राज्यों के साथ कोई अन्याय होगा। जो बढ़ोतरी होगी, उसमें दक्षिणी राज्यों को उचित हिस्सा मिलेगा। इसमें संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है।”

यह बयान तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के उस दावे के जवाब में आया है, जिसमें उन्होंने परिसीमन को “दक्षिणी राज्यों पर लटकती तलवार” करार दिया था। स्टालिन ने मंगलवार को कहा था कि जनसंख्या नियंत्रण में सफलता के कारण तमिलनाडु को अपनी 39 लोकसभा सीटों में से 8 सीटें गंवानी पड़ सकती हैं। इसके विरोध में उन्होंने 5 मार्च को चेन्नई में सर्वदलीय बैठक बुलाई है।

शाह ने इस मुद्दे पर तमिलनाडु सरकार द्वारा बुलाई गई पांच मार्च की सर्वदलीय बैठक के बारे में कहा, ‘‘वे परिसीमन पर एक बैठक करने जा रहे हैं और कह रहे हैं कि हम दक्षिण के साथ कोई अन्याय नहीं होने देंगे।’’ अमित शाह ने स्टालिन पर तमिलनाडु की जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में साफ कर दिया है कि परिसीमन के बाद दक्षिणी राज्यों की सीटें कम नहीं होंगी। डीएमके लंबे समय से इस मुद्दे पर भ्रामक प्रचार कर रही है, लेकिन आज मैंने सच्चाई स्पष्ट कर दी है।”

मुख्यमंत्री को धन आवंटन पर सच बोलने की चुनौती देते हुए गृह मंत्री ने कहा, ‘‘लोगों के सामने वह (स्टालिन) मेरे सवालों का जवाब दें। मैं आंकड़ों के साथ कहता हूं कि मोदी सरकार ने तमिलनाडु को 5,08,337 लाख करोड़ रुपये दिए जबकि संप्रग सरकार ने 2004 से 2014 के बीच महज 1.52 लाख करोड़ रुपये दिए थे। आप कह रहे हैं कि मोदी सरकार अन्याय कर रही है। लेकिन संप्रग शासन के दौरान राज्य के साथ अन्याय किया गया था जब आप सरकार का हिस्सा थे।’’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा केंद्र ने तमिलनाडु को बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 1.43 लाख करोड़ रुपये उपलब्ध कराए।

शाह ने विश्वविद्यालय में छात्राओं की सुरक्षा में कमी की निंदा की और चिंता जताई कि अवैध शराब की बिक्री का विरोध करने पर कॉलेज के छात्रों की हत्या की जा रही है। उन्होंने विश्वास जताया कि तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सत्ता में आएगा और यह जीत महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा की जीत से बड़ी होगी।

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, ‘‘तमिलनाडु सरकार ने 1998 के बम विस्फोट के आरोपी और मास्टरमाइंड (एसए बाशा) की अंतिम यात्रा के दौरान सुरक्षा मुहैया कराई थी।’’ उन्होंने दावा किया कि ड्रग माफिया को राज्य में मादक पदार्थ बेचने की खुली छूट है और अवैध खनन माफिया यहां राजनीति को भ्रष्ट बना रहे हैं। उन्होंने कार्यक्रम में आरोप लगाया, ‘‘द्रमुक के सभी नेताओं के पास भ्रष्टाचार में मास्टर डिग्री है। एक नेता नौकरी के बदले नकदी घोटाले में, दूसरा धनशोधन मामले में, तीसरा नेता आय से अधिक संपत्ति के मामले में, चौथा कोयला घोटाले में और पांचवां 6,000 करोड़ रुपये के सीआरआईडीपी घोटाले में शामिल है। ऐसा लगता है कि द्रमुक ने पार्टी सदस्य अभियान के जरिए भ्रष्टाचारियों का चयन किया है।’’ उन्होंने कहा कि जहां राज्य के लोग कई मुद्दों को लेकर नाराज हैं, वहीं मुख्यमंत्री और उनके बेटे (उदयनिधि) ने जनता का ध्यान भटकाने के लिए कुछ मुद्दे उठाए हैं।

इस मौके पर शाह ने तिरुवन्नामलाई और रामनाथपुरम में पार्टी कार्यालयों का डिजिटल तरीके से उद्घाटन किया। भाजपा महासचिव (संगठन) बी एल संतोष, केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन, वरिष्ठ नेता डॉ पी सुधाकर रेड्डी, पोन राधाकृष्णन, एच राजा और प्रदेश इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। शाह के आरोपों का जवाब देते हुए द्रमुक के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सदस्य ए. राजा ने पूछा कि आनुपातिक अनुपात का आधार क्या है।

चेन्नई में द्रमुक मुख्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए राजा ने पूछा, ‘‘समस्या आनुपातिक है। संख्यात्मक दृष्टि से कितनी सीटें हैं, इस बारे में कोई समस्या नहीं है। अनुपात किस आधार पर है, जनसंख्या के आधार पर या सांसद या विधायक के मौजूदा निर्वाचन क्षेत्र के आधार पर।’’ उन्होंने पूछा कि क्या जनसंख्या नियंत्रण पर सरकार की सलाह मानने के लिए तमिलनाडु को ‘‘दंडित’’ किया जा रहा है।

राजा ने कहा कि केंद्र के दावे के अनुसार अगर तमिलनाडु में संसदीय सीटें कम नहीं होती हैं, तो भी परिसीमन के परिणामस्वरूप कुछ अन्य राज्यों में सीटें बढ़ सकती हैं। द्रमुक नेता ने कहा, ‘‘इससे तमिलनाडु पर असर पड़ सकता है। अगर मतदान हुआ तो नीट या जल्लीकट्टू जैसे महत्वपूर्ण मामलों में हमारी आवाज दबा दी जाएगी।’’ राजा ने कहा, ‘‘अगर वे घोषणा करते हैं कि आनुपातिक अनुपात जनसंख्या के आधार पर नहीं बल्कि संसदीय क्षेत्र की संख्यात्मक ताकत के आधार पर है, तो हम (5 मार्च की) सर्वदलीय बैठक वापस ले लेंगे।’’

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