
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर में बड़ा बदलाव लाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत देश की ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को एक ही नियामक ढांचे (SRF) के अंतर्गत लाने की योजना है। इससे अलग-अलग राज्यों में लागू विभिन्न कानूनों को खत्म किया जा सकेगा। गृह मंत्रालय ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एक समिति का गठन किया है, जिसमें गृह मंत्रालय के अधिकारी, कानूनी और नीति विशेषज्ञ, और गेमिंग उद्योग के प्रतिनिधि शामिल हैं।
समिति ने शुरुआत में इस बात पर विचार किया कि क्या गेमिंग (कौशल आधारित खेल) और जुआ (चांस आधारित खेल) के बीच अंतर स्पष्ट करने के लिए एक नया कानून बनाने की जरूरत है। यह मुद्दा लंबे समय से विवादित रहा है, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही ऑनलाइन गेमिंग को ‘कौशल का खेल’ और जुआ को ‘संयोग का खेल’ माना है।
सरकार दो महत्वपूर्ण कारणों से भी एकीकृत ढांचा लागू करना चाहती है। पहला, ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर टैक्सेशन को लेकर स्पष्टता की जरूरत है, क्योंकि इन कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में ₹1.12 लाख करोड़ के जीएसटी नोटिस को चुनौती दी है। अदालत ने इन नोटिसों पर रोक लगा दी है और 18 मार्च से सुनवाई शुरू होगी। दूसरा, गृह मंत्रालय को उन विदेशी कंपनियों की गतिविधियों पर चिंता है, जो ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी की पेशकश कर रही हैं और इनका उपयोग धन शोधन के लिए किया जा सकता है।
सरकार इस क्षेत्र में तेजी से विकास की संभावना देख रही है। एक अधिकारी के मुताबिक, ऑनलाइन गेमिंग उद्योग ने कई प्रस्तुतियां दी हैं, जिससे विदेशी निवेश को आकर्षित किया जा सके। इसके लिए केंद्र सरकार एकल कानून को जरूरी मानती है। यह कानून भारत की वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) को विदेशी कंपनियों पर नियंत्रण रखने में भी मदद करेगा। यह कदम 2022 से शुरू हुए पिछले प्रयासों का विस्तार है, जब आईटी मंत्रालय को इस क्षेत्र के लिए नोडल मंत्रालय बनाया गया था।
पिछले कुछ सालों में कई राज्यों ने ऑनलाइन गेमिंग को लेकर अलग-अलग कानून बनाए हैं। कर्नाटक ने 2021 में ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की, लेकिन यह असफल रही। 2023 में कर्नाटक सरकार ने इसे विनियमित करने की योजना बनाई। महाराष्ट्र और तमिलनाडु ने भी ऑनलाइन गेमिंग पर कुछ प्रतिबंध लगाए हैं, लेकिन इन मामलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य-स्तरीय नियम गेमिंग क्षेत्र में भ्रम पैदा करते हैं, क्योंकि गेम खेलने वाले अक्सर विभिन्न राज्यों के खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं। एकल कानून लागू होने से विदेशी निवेशकों का विश्वास बहाल हो सकता है। पिछले दो सालों में नियामकीय अनिश्चितताओं के कारण इस क्षेत्र में विदेशी निवेश में 90% से अधिक की गिरावट आई है।
गेमिंग कानून विशेषज्ञ जय सयता के मुताबिक, एकीकृत कानून गेमिंग उद्योग के लिए राहत की बात होगी। उन्होंने कहा कि अगर इस उद्योग को सख्त नियमों से दबाया गया तो यह अवैध ऑनलाइन जुआ संचालकों के नियंत्रण में आ सकता है। इसलिए, सरकार को इस नियामक प्रक्रिया को स्पष्टता के साथ लागू करना चाहिए।