बांग्लादेश ने अल्पसंख्यकों के हमलों से पल्ला झाड़ा

नई दिल्ली। बांग्लादेश ने हिंदुओं पर हमलों की खबरों से पल्ला झाड़ा है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के ऊपर हमले होने के बारे में बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) के डीजी मेजर जनरल मोहम्मद अशरफुज्जमां सिद्दीकी ने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की खबरों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले हमें अल्पसंख्यकों से सुरक्षा को लेकर कई कॉल्स मिलीं, वह डरे हुए थे। हमने उन्हें आश्वस्त किया कि उनके अधिकार क्षेत्र में उनसे जो भी अधिकतम मदद दी जा सकेगी, वह देंगे।

बीजीबी चीफ सिद्दीकी ने यह बात नई दिल्ली में 17 से 20 फरवरी तक आयोजित की गई दोनों देशों के बॉर्डर की फोर्स के चीफ की 55वीं मीटिंग के संपन्न होने के बाद कही। इसमें बीएसएफ की तरफ से डीजी दलजीत सिंह चौधरी अपनी टीम के साथ और बांग्लादेश की तरफ से बीजीबी चीफ मेजर जनरल मोहम्मद सिद्दीकी अपनी 12 अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ दिल्ली आए थे। साल में दो बार होने वाली यह मीटिंग अब जुलाई 2025 में ढाका में होगी। बीएसएफ बांग्लादेश से लगते पांच राज्यों में फैली 4096 किलोमीटर लंबे बॉर्डर की सुरक्षा करती है।

पूछे गए सवालों के जवाब में बीजेपी चीफ ने कहा कि पिछले साल पांच अगस्त 2024 को बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का पतन होने के बाद इंटरनेशनल बॉर्डर पर घुसपैठ में कमी आई है। मीटिंग में दोनों देशों के बीच फेंसिंग लगाए जाने से संबंधित तमाम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। क्योंकि, बीएसएफ की तरफ से भी यह बातचीत का एक मुख्य एजेंडा था। जिसमें बीएसएफ ने अपनी तरफ से बांग्लादेश बॉर्डर पर 150 गज के दायरे में फेंसिंग लगाए जाने के मामले को समझौते के तहत उचित ठहराया।

वहीं बीजीबी चीफ ने कहा कि आने वाले समय में बॉर्डर पर फेंसिंग लगाए जाने के विवादित पाइंटस पर दोनों देशों की बॉर्डर फोर्सेज का संयुक्त सर्वे किया जाएगा। मालूम हो कि पिछले दिनों बीएसएफ द्वारा भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर कुछ पॉइंट्स पर फेंसिंग लगाए जाने पर बीजीबी द्वारा कड़ी आपत्ति जताई गई थी। इसके बाद फेंसिंग लगाए जाने को रोक दिया गया था।

बैठक में बीजीबी के रुख को देखते हुए फिलहाल फेंसिंग वाला मामला जस का तस ही माना जाएगा। यानी बांग्लादेश बॉर्डर पर जिन-जिन जगह 150 गज के दायरे में फेंसिंग लगाए जाने को रोका गया था। फिलहाल वहां अभी काम चालू नहीं किया जाएगा। इसका दोनों देशों के बीच बातचीत से समाधान नहीं निकाला जाएगा। हालांकि, सिद्दीकी ने कहा कि भारत-बांग्लादेश सीमा समझौते को लेकर फिर से तैयार करने पर कोई चर्चा नहीं हुई है, जिस पर 1975 में सहमति बनी थी। क्योंकि, यह मसला इस बैठक के दायरे में नहीं था। पिछले साल अगस्त में शेख हसीना सरकार के बाद दोनों देशों की बॉर्डर फोर्स के डीजी के बीच यह पहली मीटिंग हुई थी।

मीटिंग में दोनों देशों की बॉर्डर फोर्स के प्रतिनिधिमंडलों ने अपने-अपने एजेंडों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया। बीएसएफ के मुख्य एजेंडे में बॉर्डर पर 150 गज के दायरे में फेंसिंग के काम को आगे बढ़ाना, बांग्लादेश की तरफ से भारत में घुसपैठ, अपराधियों और तस्करों को रोकने, बीएसएफ के जवानों पर हमलों की रोकथाम, बांग्लादेश में डेरा डाले हुए भारतीय विद्रोही समूहों (आईआईजी) के खिलाफ कार्रवाई और एसआरएफ का निर्माण करना जैसे एजेंडे रहे।

जबकि बीजीबी का मुख्य एजेंडा बॉर्डर पर अपराधों की रोकथाम, बांग्लादेश क्षेत्र में घुसपैठ, सीमा पर हत्या, आईबी के 150 गज के अंदर किसी भी तरह का निर्माण कार्य ना होना, अगरतला से अखौरा तक वेस्ट वाटर ले जाने वाली नहरों के लिए ट्रीटमेंट प्लांट बनाना और वाटर शेयरिंग जैसे मुद्दे रहे। अधिकारियों ने बताया कि पिछले दिनों से दोनों देशों के बीच जिस तरह का तनाव चल रहा है। उसमें दोनों देशों की फोर्सेज के बीच यह मीटिंग कम से कम बॉर्डर पर जवानों का तनाव कम करने में बेहद अधिक कारगर साबित होगी। कई मुद्दों पर आपसी सहमति बनी है। जिसके आने वाले समय में सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।

Related Articles

Back to top button