
प्रयागराज। प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 ने इतिहास रच दिया है। महाकुंभ अपने आप में एक ऐतिहासिक आयोजन बन चुका है, जिसमें अब तक 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई है। यह संख्या न केवल भारत की, बल्कि दुनिया के कई बड़े देशों की जनसंख्या से भी अधिक है, जैसे कि अमेरिका, रूस और पाकिस्तान के कुल जनसंख्या से भी ज्यादा। यह महाकुंभ भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक अहम हिस्सा है, जिसमें लाखों श्रद्धालु अपनी आस्था और विश्वास को प्रकट करने के लिए शामिल होते हैं।
महाकुंभ वाकई भारत का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर के श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। यह आयोजन हर 12 साल में चार पवित्र स्थानों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—में आयोजित होता है और हर स्थान की धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता अलग-अलग है। महाकुंभ का धार्मिक महत्व अत्यधिक है, क्योंकि इसमें श्रद्धालु नदियों के पवित्र जल में स्नान करके अपने पापों से मुक्ति की कामना करते हैं और मोक्ष की प्राप्ति की उम्मीद रखते हैं। यह आयोजन ज्योतिषीय गणनाओं, तिथियों, और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित होता है, जो इसे और भी खास बनाता है। साथ ही, यह भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और एकता का प्रतीक भी है, क्योंकि इस दौरान श्रद्धालु विभिन्न धर्मों, जातियों, और देशों से एकजुट होते हैं।