
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में Income Tax Bill 2025 पेश किया, जिसमें टैक्सपेयर्स के लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। अगर किसी व्यक्ति ने पहले ही नई टैक्स रिजीम को चुना है, तो उसे दोबारा इसको चुनने की आवश्यकता नहीं होगी। पुराने कानून के अनुसार, जो टैक्सपेयर्स पहले से नई टैक्स रिजीम का चुनाव कर चुके हैं, वे बिना किसी अतिरिक्त कदम के इसे लागू रख सकते हैं।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) ने यह भी पुष्टि की है कि पुराने टैक्स कानून से नए बिल में बदलाव बिना किसी परेशानी के लागू किए जाएंगे और इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग से संबंधित सभी मौजूदा नियम पहले की तरह लागू रहेंगे। इसका मतलब है कि टैक्सपेयर्स को कोई नया बदलाव नहीं करना होगा, और उन्हें नए टैक्स बिल के तहत अपनी टैक्स स्थिति को फिर से चयनित नहीं करना पड़ेगा।
नए इनकम टैक्स बिल में न्यू टैक्स रिजीम के संबंध में कोई बड़ा नीतिगत बदलाव नहीं किया गया है, बल्कि CBDT ने इसे और अधिक सरल बनाने के उपाय किए हैं, ताकि टैक्सपेयर्स के लिए इसे समझना और पालन करना आसान हो। बिल में पर्सनल टैक्सपेयर्स, घरेलू कंपनियों, सहकारी समितियों और अन्य पात्र टैक्सपेयर्स के लिए विशेष टैक्स रेट पर एक अलग सेक्शन शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य उन विभिन्न श्रेणियों के टैक्सपेयर्स को अलग-अलग और स्पष्ट तरीके से टैक्स लाभ देना है।
इसके अलावा, अनावश्यक प्रावधानों को हटाकर, शर्तों और नियमों को और भी अधिक स्पष्ट रूप से टेबल के माध्यम से पेश किया गया है, जिससे टैक्सपेयर्स को बेहतर समझ मिल सके। विभिन्न प्रकार की इनकम के लिए विशेष टैक्स रेट को एक ही स्थान पर समायोजित करना भी इस बिल का एक महत्वपूर्ण सुधार है, जिससे टैक्स फाइलिंग और समझने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। यह सब मिलाकर यह बिल टैक्सपेयर्स के लिए ज्यादा पारदर्शी और समझने में आसान बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
वर्तमान में, टैक्सपेयर ओल्ड टैक्स रिजीम या न्यू टैक्स रिजीम में से किसी एक को चुन सकते हैं. प्रत्येक टैक्स सिस्टम के अपने फायदे और नुकसान हैं और टैक्सपेयर अपनी स्थिति के अनुसार इनमें से किसी एक का चयन कर सकते हैं.हालांकि, टैक्स रेजीम चुनने के कुछ विशेष नियम हैं:
बिजनेस या पेशे से इनकम वाले टैक्सपेयर साल-दर-साल टैक्स रेजीम नहीं बदल सकते. एक बार नई टैक्स सिस्टमसे बाहर निकलने पर, वे केवल एक बार ही इसमें वापस आ सकते हैं. लेकिन एक बार नई टैक्स सिस्टम में लौटने के बाद, वे दोबारा पुरानी टैक्स सिस्टम में नहीं जा सकते.
नॉन-बिजनेस इनकम (जैसे वेतनभोगी कर्मचारी) वाले टैक्सपेयर हर साल नई और पुरानी टैक्स सिस्टम के बीच बदलाव कर सकते हैं. हालांकि, पुरानी टैक्स सिस्टम को अपनाने का फैसला इनकम रिटर्न की अंतिम तिथि से पहले करना होगा.